फसल बीमा घोटाले में EOW की जांच लटकी
रायपुर | संवाददाता: फसल बीमा घोटाले में छत्तीसगढ़ के कई बड़े अफसर और नेता शामिल हैं. EOW ने मामला दर्ज़ करने के लिये सरकार से अनुमति मांगी थी लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार अपने अफसरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की अनुमति नहीं दे रही है. इस बात को एक महीने हो गये हैं. यानी जांच शुरु होने से पहले ही सरकारी फाइलों में लटक गई है.
कोरिया ज़िले के रमाशंकर गुप्ता मौसम आधारित फसल बीमा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की लड़ाई पिछले कई वर्षों से लड़ रहे हैं. रायपुर से लेकर दिल्ली तक शायद ही कोई बड़ा नेता और मंत्री होगा, जिसे उन्होंने इस घोटाले से अवगत नहीं कराया होगा.
भूपेश बघेल की सरकार ने इस घोटाले में कोरिया और राजनांदगांव ज़िले में जांच के बाद बीमा कंपनी को किसानों को रक़म देने का आदेश दिया है.
सरकार ने आदेश में कहा है कि बीमा कंपनी बजाज अलायंज 12 प्रतिशत ब्याज के साथ, एक माह के भीतर किसानों को उनको बीमा की रकम दे. ऐसा नहीं करने पर बीमा कंपनी को राज्य में प्रतिबंधित करने की चेतावनी दी गई है.
लेकिन छत्तीसगढ़ में EOW ने रमाशंकर गुप्ता की शिकायत के बाद इस मामले में राज्य सरकार को पूर्व सचिव अजय सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. इस बात को एक महीने हो गये हैं. लेकिन फाइल जहां की तहां पड़ी हुई है.
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो EOW ने 25 अप्रैल को राज्य सरकार को एक पत्र में कहा कि उमाशंकर गुप्ता ने ईओडबल्यू में शिकायत की है. इस शिकायत में अजय सिंह तत्कालीन कृषि आयुक्त एवं प्रताप कृदत्त, संचालक कृषि के विरूद्ध राज्य स्तरीय फसल बीमा समन्वय समिति के द्वारा बीमा कंपनियों बजाज एलायंस से मिलीभगत कर राजकोष एवं निविदा प्रक्रिया में मनमानी, ऋणी कृषकों के खाते बैंक /सहकारी समिति के प्रबंधकों से मिली भगत कर बोये गए रकबे से अधिक रकबे का बीमा प्रीमियम किसानों की बिना सहमति आहरण करने संबंधी शिकायती पत्र ब्यूरो को प्राप्त हुआ है.
EOW ने उपरोक्त शिकायत की जांच हेतु भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को अग्रिम कार्रवाई करने की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया था.
EOW की इस चिट्ठी की राज्य भर में चर्चा थी. क्योंकि इस फसल बीमा घोटाले की आंच पूर्व मुख्य सचिव तक पहुंची थी. लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इस मामले में जांच की अनुमति प्रदान नहीं की है.
माना जा रहा है कि अब जबकि राज्य में चुनाव आचार संहिता समाप्त हो चुकी है, तब शायद इस मामले की फाइल थोड़ी आगे सरके.