छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर संकट
रायपुर| संवाददाताः छत्तीसगढ़ में 14 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू होने वाली है, लेकिन धान खरीदी करने वाली सेवा सहकारी समिति के कर्मचारी अपनी तीन सूत्रीय मांग को लेकर हड़ताल पर अभी भी डटे हुए हैं. कई जिलों के समिति प्रबंधकों ने तो धान खरीदी का बहिष्कार ही कर दिया है.दूसरी ओर राइस मिलरों ने भी सरकार का विरोध करते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 की कस्टम मिलिंग नहीं करने का फैसला किया है. इन सब के बीच किसानों की परेशानी बढ़ गई है.
छत्तीसगढ़ में कुल 2058 सहकारी समितियों के साथ ही 600 से ज्यादा उपकेन्द्रों में धान खरीदी होनी है.
इन सभी समितियों में लगभग 13000 कर्मचारी कार्यरत हैं और सभी विगत 4 नवंबर से हड़ताल पर हैं.
कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से सेवा सहकारी समितियों में केवल समिति प्रबंधक और कम्प्यूटर ऑपरेटर ही बचे हैं. जिसके चलते अभी तक धान खरीदी केन्द्रों में साफ-सफाई तक नहीं हुई है.
कई खरीदी केन्द्रों में बारदाना भी नहीं उतरा है. यहां तक कि समितियों में टोकन काटने वाला कर्मचारी भी नहीं है. जिसे किसान बैरंग लौट रहे हैं.
जिन किसानों का धान कटकर तैयार हो गया, वे पहले ही ऑनलाइन टोकन कटवा चुके हैं और धान बेचने के लिए तैयार हैं.
अगर कर्मचारियों का हड़ताल खत्म नहीं होती है या कोई अन्य रास्ता नहीं निकाला जाता है तो किसानों को धान बेचने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
मांग पूरी हुए बगैर वापस नहीं लौटेंगे- साहू
छत्तीसगढ़ प्रदेश सहकारी समिति कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश साहू का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, किसी भी सूरत पर वे हड़ताल से वापस लौटने वाले नहीं हैं. अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो कर्मचारी संघ धान खरीदी का बहिष्कार करेगा.
उन्होंने कहा कि हमारी मांगे भी अधिक नहीं हैं. तीन सूत्रीय मांग को भी सरकार पूरा नहीं कर रही है.
उनका कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार की तर्ज पर छग सरकार भी प्रदेश के कर्मचारियों को वेतनमान और अन्य सुविधाओं का लाभ दें.
यह है तीन सूत्री मांग
सहकारी समिति की पहली मांग है कि मध्य प्रदेश सरकार की भांति छत्तीसगढ़ में भी तीन लाख रुपए प्रति वर्ष प्रबंधकीय अनुदान राशि दी जाए. दूसरी मांग है सेवा नियम 2018 के अंशिक संशोधन कर पुनरीक्षित वेतनमान लागू किया जाए.
तीसरी मांग है समर्थन मूल्य पर धान खरीदी गत वर्ष 2023-2024 में धान परिवहन के पश्चात आगामी वर्षों में धान में सुखत दिया जाए. साथ ही समस्त कमीशन में चार गुना बढ़ोतरी किया जाए. सुरक्षा व्यय, कमीशन, खाद, बीज, उपभोक्ता फसल बीमा, आदि को 2 गुणा बढ़ा कर राशन वितरण पर 500 किलो क्षतिपूर्ति और 5000 रुपए दी जाए.
सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल खत्म नहीं हुआ है और दूसरी ओर राइस मिलरों ने भी कस्टम मिलिंग नहीं करने की चेतावनी सरकार को दी है.
राइस मिलरों का कहा है कि शासन से उन्हें पुराना पैसा लेना है. वित्तीय वर्ष 2022-23 के करीब 1,500 करोड़ की राशि बाकी है. जब तक उन्हें पुराना पैसा न मिल जाए, वर्ष 2024-25 की कस्टम मिलिंग नहीं करेंगे.
कस्टम मिलिंग के अलावा अपने विभिन्न मुद्दों को लेकर सोमवार को छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन की बैठक हुई.
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश के सभी 33 जिलों के करीब 200 प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल हुए. राइस मिलरों ने मिलकर निर्णय लिया है कि जब तक उन्हें पुराना पैसा न मिल जाए, वर्ष 2024-25 का कस्टम मिलिंग नहीं करेंगे. साथ ही राइस मिलरों में कैमरे लगाने का नियम हटाया जाए तथा पैनाल्टी नहीं लगाया जाए.
महासमुंद में धान खरीदी का बहिष्कार
महासमुंद जिले में 133 समितियों के 182 उपार्जन केन्द्रों में कार्यरत कर्मचारियों ने धान खरीदी नीतियों में बदलाव की मांग को लेकर धान खरीदी का बहिष्कार कर दिया है.
कर्मचारियों ने इसकी लिखित सूचना कलेक्टर, उपायुक्त उपपंजीयक सहकारी संस्थाएं एवं नोडल अधिकारी महासमुंद को दी है.
सोमवार को जिले के दर्जनों प्रबंधक कलेक्टोरेट पहुंचे और अपनी तीन बिन्दुओं का ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा.
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने धान खरीदी के कई नियमों में बदलाव किया है.
पहले 72 घंटे के अंदर धान उठाव के नियम थे, जिसे सरकार ने खत्म कर दिया गया है.
72 घंटे के भीतर धान का उठाव नहीं होने की वजह से धान का पूरा उठाव अब 31 मार्च की स्थिति के मान से धान का सूखत अधिक होने से समितियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा.
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