छत्तीसगढ़ दलित अत्याचार में आगे
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ दलितों पर अत्याचार के मामले में आगे है. नेशनल क्राइम रिसर्च ब्यूरो की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति एक लाख दलित आबादी के खिलाफ अपराध की राष्ट्रीय दर 22.3 है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 31.4 है. यह आंकड़ा तेलंगाना 30.9, गुजरात 25.7, केरल 24.7 और उत्तर प्रदेश- 20.2 से कहीं अधिक है. लेकिन यह भी दिलचस्प है कि छत्तीसगढ़ में 2015 में एससी-एसटी एक्ट के तहत एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है.
पिछले साल दलितों पर देश भर में जो अपराध हुये हैं, उनकी संख्या 45,003 है और छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 1028 है. दूसरे राज्यों में दलितों के खिलाफ हुये मामले भी कम नहीं हैं. उत्तर प्रदेश- 8,358, राजस्थान- 6,998, बिहार- 6,438, आंध्र प्रदेश- 4,415, मध्य प्रदेश- 4,188, उड़ीसा- 2,305, महाराष्ट्र- 1,816, तमिलनाडु 1782, गुजरात- 1,046 और झारखण्ड- 752 के आंकड़ों के साथ अपनी भयावहता दर्शा रहे हैं. राष्ट्रीय दर के हिसाब से ये आंकड़े राजस्थान- 57.2, आन्ध्र प्रदेश- 52.3, गोवा- 51.1, बिहार- 38.9, मध्य प्रदेश- 36.9, उड़ीसा- 32.1, तेलंगाना-30.9, गुजरात- 25.7, केरल- 24.7, उत्तर प्रदेश- 20.2 हैं.
दलित महिलाओं से बलात्कार के मामले में भी छत्तीसगढ़ ने कई राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. पिछले साल कुल 2,326 मामले देश भर में सामने आये, जिसमें 81 अकेले छत्तीसगढ़ से थे. यह आंकड़ा मध्य प्रदेश में 460, उत्तर प्रदेश में 444, राजस्थान में 318, महाराष्ट्र में 238, उड़ीसा में 129, हरियाणा में 107, तेलंगाना में 107, आंध्र प्रदेश में 104, केरल में 99, गुजरात में 65, तमिलनाडु में 43 और बिहार में 42 है.
दलितों के खिलाफ आगजनी के कुल 179 मामले 2015 में दर्ज किये गये और छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा सबसे उपर है. राष्ट्रीय दर के हिसाब से देखें तो यह 0.1 है. लेकिन छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 43 और दर कहीं अधिक 0.3 है. देश के दूसरे राज्यों में दलितों के खिलाफ आगजनी के मामलों की संख्या उत्तर प्रदेश में 30, मध्य प्रदेश में 21, राजस्थान में 21, तमिलनाडु में 14, उड़ीसा में 15 और महाराष्ट्र में 11 है.