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महाराष्ट्र में गाय को राज्य माता का दर्जा

मुंबई| डेस्कः महाराष्ट्र सरकार ने गाय को राज्य माता का दर्जा दिया है.

सोमवार को शिंदे केबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया. साथ ही गायों के लिए 50 रुपये प्रतिदिन की सब्सिडी योजना भी लागू की है.

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की ओर से इसको लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.

अधिसूचना में कहा गया है कि गाय प्राचीन काल से ही मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है. भारतीय संस्कृति में गाय की स्थिति, मानव आहार में गाय के दूध की उपयोगिता रही है. इसीलिए गाय को कामधेणु का नाम दिया गया है.

महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गाय को महत्वपूर्ण स्थान हासिल है. इसका महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि आयुर्वेद, चिकित्सा और पंचगव्य उपचार पद्धति में इसका उपयोग होता आया है.

गोबर-गोमूत्र का महत्वपूर्ण स्थान

सरकार की तरफ़ से कहा गया है कि इसी तरह जैविक कृषि प्रणालियों में देशी गाय के गोबर एवं गोमूत्र का महत्वपूर्ण स्थान है.

सरकार ने कहा कि मराठवाड़ा में देवरी और ललकानारी व उत्तरी महाराष्ट्र में डांगी और शवदाभ जैसी विभिन्न देशी नस्ल की गाय पाई जाती हैं.

हालांकि पिछले कुछ सालों में देशी गायों की संख्या में कमी आई है, जो चिन्ता का विषय है. सरकार को उम्मीद है कि अब गाय को राज्यमाता का दर्जा दिए जाने से किसानों को इन गायों को पालने में प्रोत्साहन मिलेगा.

महाराष्ट्र में 26 नवंबर से पहले चुनाव

चुनाव आयोग की टीम ने 28 सितंबर को दो दिवसीय दौरे पर महाराष्ट्र पहुंची थी.

टीम ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की थी.

इस दौरान टीम ने कई राजनीतिक दलों और अधिकारियों के साथ बैठक कर जानकारी ली थी.

इसके बाद चुनाव आयोग की टीम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव की तैयारियों के बारे में जानकारी भी दी थी.

टीम ने बताया था कि 26 नवंबर से पहले महाराष्ट्र में चुनाव कराना होगा. क्योंकि नवंबर में महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है.

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