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छत्तीसगढ़ : बच्चों पर साढ़े 5 रु और गाय पर 35 रु खर्च की तैयारी

ममता मानकर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ सरकार ने गौशाला की गायों की देखभाल के लिए प्रति गाय दी जाने वाली अनुदान की रकम को 25 रुपये से बढ़ा कर 35 रुपये करने का फ़ैसला किया है.

बेशक गायों की देखभाल के लिए हर दिन प्रति गाय 35 रुपये की रकम भी कम है. पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में सरकार 40 रुपये देती है और महाराष्ट्र सरकार 50 रुपये. राजस्थान सरकार भी प्रति गाय 44 रुपये देती है.

लेकिन गायों के लिए चिंतित सरकार की प्राथमिकता में राज्य के बच्चे, बुजुर्ग और विधवाएं कहीं नहीं हैं.

कम से कम छत्तीसगढ़ सरकार ने बच्चों, बुजुर्गों और विधवाओं पर किए जाने वाले खर्च का जो बजट रखा है, वह चौंकाने वाला है.

राजनीति के केंद्र में गाय

गाय
कांग्रेस सरकार ने गाय को राजनीति के केंद्र में ला दिया

गाय या गोवंश का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व तो है ही, ये भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही हैं. छत्तीसगढ़ की राजनीति के केंद्र में भी पिछले कुछ सालों से गाय है.

छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस पार्टी की सरकार ने तो, नरवा गरवा घुरवा बाड़ी का नारा लगाते हुए, अपनी फ्लैगशिप योजना में गाय को ही केंद्र में रखा था.

अब राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गौशालाओं में रह रही गायों के लिए अनुदान राशि 25 रुपये से बढ़ा कर 35 रुपये करने की घोषणा की है.

लेकिन जिस छत्तीसगढ़ में गौशाला की हर गाय पर सरकार ने 35 रुपये देने का वादा किया है, उस राज्य में बच्चों के मध्यान्ह भोजन पर राज्य सरकार द्वारा किया जाने वाला खर्च का आंकड़ा चौंकाने वाला है.

बच्चों के लिए 5 रुपये 45 पैसे


प्रधानमंत्री पोषण योजना की वेबसाइट बताती है कि हर दिन एक समय पका हुआ, गरम और पौष्टिक भोजन के लिए प्राइमरी के प्रति बच्चे के लिए कुल 5 रुपये 45 पैसे का प्रावधान है और अपर प्राइमरी के बच्चों के लिए 8 रुपये 17 पैसे का.

इसमें से प्राइमरी के बच्चों के लिए केंद्र सरकार 3 रुपये 27 पैसे देती है और राज्य सरकार 2 रुपये 18 पैसे. अपर प्राइमरी के लिए केंद्र सरकार 4 रुपये 90 पैसे देती है और राज्य सरकार 3.27 पैसे.

सरकार का लक्ष्य है कि इस 5 रुपये 45 पैसे में बच्चे को 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन मिले. इसके लिए हर बच्चे को 100 ग्राम अनाज, 20 ग्राम दाल, 50 ग्राम सब्जी, 5 ग्राम तेल और फैट, और ज़रुरत के अनुसार नमक व मसाले भी मिले.

बाज़ार भाव को ध्यान में रख कर सोचें तो इतनी रकम में तो पौष्टिक भोजन मिलने से रहा. ऊपर से फरमान ये कि सप्ताह में एक दिन मीठा देना है, एक दिन अंडा देना है, एक दिन पापड़ देना है और ऐसे ही कई सरकारी फरमान चर्चा में बने रहते हैं.

किस्सा बीजाकुरा का

बीजाकुरा
बीजाकुरा की तस्वीर ने भोजन में पौष्टिकता की पोल खोल कर रख दी

लेकिन इस सरकारी फरमान की हकीकत अभी कुछ दिनों पहले टीवी चैनलों पर आई थी. जिसमें दिखाया गया था कि कैसे सरगुजा संभाग के बीजाकुरा गांव में बच्चों को हल्दी वाला चावल खिलाया जा रहा था. न दाल का पता था, न सब्जी का.

ये वही बीजाकुरा गांव है, जहां भूख से रिवई पंडो की बहु और पोते की मौत हो गई थी और तब के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को सरगुजा आना पड़ा था. देश के लिए खाद्य नीति की घोषणा करनी पड़ी थी.

बहरहाल किस्सा कोताह ये कि बीजाकुरा गांव की तस्वीर ही, राज्य में पौष्टिक भोजन की असली कहानी है.

साल दर साल घटता गया बजट

बात महंगाई की हो रही है तो देश में प्रधानमंत्री पोषण योजना का बजट देखना भी दिलचस्प है. 2013-14 में सरकार ने 13,215 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पीएम पोषण योजना के लिए रखा था. उस साल सरकार ने 10,927.21 करोड़ रुपये आवंटित किए थे.

दस साल बाद जब अधिकांश चीजों की कीमत आसमान पर पहुंच गई, तब सरकार ने 2023-24 में पहले 11,600 करोड़ का बजट पीएम पोषण योजना के लिए तय किया, फिर इसे संशोधित कर के 10,000 हज़ार करोड़ किया और अंततः 8,452.67 करोड़ आवंटित किए थे.

2013-14 में आवंटित 10,927.21 करोड़ की तुलना में 10 साल बाद महंगाई को देखते हुए जब बजट और बढ़ना था, तब बजट घट कर 8,452 करोड़ कर दिया गया.

बुजुर्गों और विधवाओं के लिए हर दिन के 16 रुपये

वृद्धावस्था पेंशन
वृद्धावस्था पेंशन के तौर पर हर दिन 16 रुपये दिए जाते हैं (तस्वीर प्रतीकात्मक है)

बात महंगाई की निकली तो एक आंकड़ा और. केंद्र सरकार वृद्धा पेंशन के लिए 200 रुपये और विधवाओं को पेंशन के रुप में 300 रुपये देती है.

60 से 79 साल की महिलाओं को केंद्र सरकार से मिलने वाली 200 रुपये में छत्तीसगढ़ सरकार 300 रुपये और मिला कर देती है और यह रकम हो जाती है हर महीने 500 रुपये. विधवा पेंशन के रुप में भी राज्य सरकार 200 रुपये मिलाती है और यह रकम भी 500 रुपये होती है. यानी हर दिन के 16 रुपये 66 पैसे.

मध्यान्ह भोजन के लिए हर दिन 5 रुपये 45 पैसे और बुजुर्गों को पेंशन के रुप में हर दिन के 16 रुपये 66 पैसे के मुकाबले, गायों के लिए हर दिन 35 रुपये एक अच्छी-खासी रकम है. गायों का ध्यान ज़रुर रखा जाना चाहिए. लेकिन सरकार अगर बच्चों के पोषण और बुजुर्गों की आजीविका को लेकर भी कोई ठोस नीति बना पाती तो शायद एक लोक कल्याणकारी राज्य पर लोगों का भरोसा और मज़बूत होता.

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