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भ्रष्ट एसडीएम को सात साल की सज़ा

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में एक भ्रष्ट एसडीएम को सात साल के लिये जिल भेज दिया गया. नारायणपुर के एसडीएम संतोष देवांगन को भ्रष्टाचार के मामले में मंगलवार को स्थानीय अदालत ने सजा सुनाई. इसके बाद मौके पर उपस्थित एसडीएम को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

एसडीएम संतोष देवांगन पर आरोप है कि उन्होंने बिलासपुर में रहते हुये कूट रचना करते हुये एक बिल्डर को फायदा पहुंचाया था. बिलासपुर के लिंगियाडीह इलाके में अवैध कब्जा और फर्ज़ी तरीके से ज़मीन खरीद बिक्री के इस मामले की शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो से की गई थी.

मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुये अदालत ने संतोष देवांगन को सात साल जेल और डेढ़ लाख के जुर्माने की सज़ा सुनाई.

छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, संतोष देवांगन उसके उदाहरण हैं. संतोष देवांगन के खिलाफ 2010 में यह शिकायत की गई थी कि उन्होंने बिलासपुर में एसडीएम रहते हुये एक बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिये फर्ज़ीवाड़ा किया और बिल्डर को पूर्व अधिकारी द्वारा किये गये जुर्माने की रकम को भी कम कर दी थी. इस मामले में लोक आयोग में शिकायत की गई थी.

लोक आयोग ने मामले की जांच की और पाया कि सारे आरोप सही है. इसके बाद लोक आयोग ने इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो को अपराध दर्ज करने का आदेश दिया. एंटी करप्शन ब्यूरो ने धारा 13-1डी, 13-2 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 सहपठित धारा 420, 467, 468, 120बी का मामला दर्ज कर राज्य सरकार के पास अभियोजन के लिए भेजा था. लेकिन सरकार इस फाइल को दबाये रखी.

देवांगन को बचाने के लिये रमन सिंह की सरकार के अफसरों ने अपनी अकल के सारे घोड़े दौड़ा दिये. ब्यूरो ने मामला दर्ज़ किया लेकिन पूरी व्यवस्था को ठेंगे पर रखने और कानूनों को दो कौड़ी का समझने वाले अफसर देवांगन को लगातार बचाते रहे. एक तरफ तो छत्तीसगढ़ की रमन सरकार संतोष देवांगन को लगातार प्रमोशन देती रही और संतोष देवांगन कानूनी फैसले भी देते रहे. दूसरी ओर एंटी करप्शन ब्यूरो के रिकार्ड में अभियोजन स्वीकृति की फाइल सरकार के पास धूल खाती रही.

इस मामले में जब शिकायतकर्ताओं ने दबाव बनाया, तब कहीं 2014 में उन्हें बलौदाबाज़ार से गिरफ्तार किया गया और उन्हें 15 दिन के रिमांड पर भी लिया गया था.

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