कोरोेना : छत्तीसगढ़ के लिये आने वाले दिन होंगे चुनौती भरे?
रायपुर | संवाददाता: कोरोना के मामले में क्या आने वाले दिन छत्तीसगढ़ के लिये और चुनौती भरे हो सकते हैं? कमसे कम राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव तो लगातार यही संकेत दे रहे हैं. उन्होंने कोरोना के 80 फीसदी मामले माइल्ड या एसिम्टोमैटिक होने को लेकर भी चिंता जताई है. सिंहदेव ने राज्य में कोरोना की जांच की संख्या को लेकर भी सवाल उठाये हैं कि 3 करोड़ की आबादी में केवल 4 हज़ार लोगों की जांच हुई है.
एक दिन पहले भी सिंहदेव ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा था कि कोरोना से मुकाबला करने के दो ही तरीके हैं- पहला है लाकडाउन और दूसरा है रैपिड टेस्टिंग. सिंहदेव ने साफ़ शब्दों में कहा कि रैपिड टेस्टिंग के लिये हमारे पास संसाधन नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हम केंद्र से अनुरोध कर रहे हैं कि वह हमें रैपिड टेस्टिंग किट उपलब्ध कराये. वरना मार्केट से खरीदी की प्रक्रिया में शार्ट टर्म टेंडर के बाद भी 10 दिन के भीतर हमको रैपिड टेस्टिंग कीट नहीं मिल सकते.
सिंहदेव ने कहा था कि अभी कोरोना के जितने मरीज़ हैं, उनके लिहाज से पर्याप्त व्यवस्था है. राज्य में 4200 बिस्तर हैं, 622 वैंटिलेटर उपलब्ध हैं. लेकिन अगर बड़ी सुनामी आई तो कोई व्यवस्था पर्याप्त नहीं रहेगी. बिस्तरों की संख्या और बढ़ाई जा सकती है. लेकिन अंततः वैंटिलेटर और सुविधाओं की सीमा है. अगर यह सीमा बढ़ी तो क्या भारत, क्या छत्तीसगढ़; किसी के पास भी इतने संसाधन नहीं हैं.
मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने एसिम्टोमैटिक संक्रमितों को लेकर कहा कि “80 प्रतिशत लोगों को पता भी नहीं रहेगा कि वो कोरोना कैरियर्स हैं. मैं और आप कोरोना कैरियर्स हो सकते हैं और हमको पता भी नहीं चलेगा क्योंकि कोई लक्षण नहीं हैं. लक्षण सामने नहीं आये तो आपने टेस्ट नहीं किया. सरगुजा और बस्तर में ऐसे कैरियर हैं तो?”
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “हर व्यक्ति मान रहा है कि इसकी उपस्थिति है. कितनी है, किसी को नहीं मालूम. मैं बार-बार कहता हूं कि हम एक अंधेरे कमरे में हैं. कोरोना के अंधेरे कमरे में हैं, जिसमें जानकारी की रौशनी नहीं के बराबर है. कितनी रौशनी है? जितनी हम टेस्ट कर पा रहे हैं. टेस्ट कितना कर पा रहे हैं? कुल आबादी का, तीन करोड़ छत्तीसगढ़ वासियों का हम 4 हज़ार टेस्ट कर पाये हैं.”
उन्होंने कहा कि “ऐसे में अगर आप ज़िम्मेदारी से कहियेगा कि कोई निर्णय लीजिए तो एहतियात बेहतर है, बनिस्पत की तेज़ी से आगे भागना.”