कसाब को छुड़ाने की साजिश थी: हेडली
मुंबई | समाचार डेस्क: हेडली ने खुलासा किया कि इजराइली बंदियों के बदले कसाब को छुड़ाने की कोशिश की गई थी. मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं में शामिल पाकिस्तानी मूल के अमरीकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने शुक्रवार को खुलासा किया कि बंधक बनाए गए इजरायली नागरिकों के बदले कसाब को छुड़ाने की कोशिश हुई थी. पूर्व लश्कर आतंकी हेडली अब अमरीका में सरकारी गवाह बन चुका है और अमरीका की जेल में कैद है. पाकिस्तान आतंकवादी अजमल कसाब को मुंबई हमलों के दौरान जिंदा पकड़ लिया गया था. उसे बाद में फांसी दी गई थी.
विशेष लोक अभियोजक उज्जवल निकम ने बाद में संवाददताओं को बताया कि हेडली ने बताया कि उसने अपने लश्करे तैयबा समूह के आकाओं को यह सुझाव दिया था कि मुंबई हमलों के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए 9 आतंकवादियों को पाकिस्तान के सर्वोच्च वीरता सम्मान ‘निशाने हैदर’ से नवाजा जाए.
हेडली ने विशेष न्यायाधीश जीए सनाप की अदालत में शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हो रही जिरह में बताया कि जब कसाब को 27 नवंबर 2008 को जिंदा पकड़ लिया गया, तो हेडली के मुख्य संपर्क साजिद मीर ने आतंकवादियों को आदेश दिया कि वे इजरायली नागरिकों को बंधक बनाए रखें. उसके बाद वे इजरायल के प्रधानमंत्री और दूतावास से संपर्क कर भारत सरकार पर कसाब को छोड़ने का दबाव बनाने वाले थे.
हेडली ने यही बातें अमरीकी अदालत में भी कही थीं.
मुंबई हमले के मुख्य आरोपियों में से एक सैयद जैबुद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल के वकील अब्दुल वहाब खान की जिरह के दौरान हेडली ने खान के सवाल के जवाब में कहा कि उसने निजी तौर से इजरायली दूतावास के अफसरों से बात नहीं की थी क्योंकि मुंबई हमले के समय वह लाहौर में था.
उज्जवल निकम ने बताया कि हेडली ने इस बात से इनकार किया कि थाणे की छात्रा इशरत जहां को आतंकी बताने के लिए उस पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने किसी तरह का दबाव डाला था.
हेडली ने बताया था कि इशरत का ताल्लुक लश्करे तैयबा से था. गुजरात के आतंकरोधी दस्ते ने इशरत और उसके तीन साथियों को मुठभेड़ में मार गिराया था. इन पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा था.
हेडली ने बताया कि वह दिसंबर 1971 से ही भारत तथा भारतीयों से नफरत करता था, जब भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उसके स्कूल पर भारत की ओर से बम गिराया गया था और जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी.
हेडली ने बताया, “मुझे भारत तथा भारतीयों से सात दिसंबर, 1971 को ही नफरत हो गई थी, जब भारतीय विमानों ने मेरे स्कूल पर बमबारी की थी. इस हवाई हमले ने मेरे स्कूल को नष्ट कर दिया था. स्कूल में उस दौरान काम कर रहे कई लोग इस हमले में मारे गए थे.”
एक अन्य खुलासे में हेडली ने कहा कि उसने शिवसेना के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से एक फंड रेजिंग प्रोग्राम आयोजित करने की भी कोशिश की, जिसके लिए वह इसके संस्थापक-संरक्षक दिवंगत बाल ठाकरे को अमरीका आमंत्रित करना चाहता था. हालांकि उसकी योजना वहां उन्हें मारने की नहीं थी.
हेडली ने कहा कि वह ठाकरे की अमरीका यात्रा को लेकर शिवसेना के जन संपर्क पदाधिकारी राजाराम रेगे के संपर्क में था.
हालांकि हेडली की ठाकरे से कभी मुलाकात नहीं हुई और रेगे ने जब उसे बताया कि ठाकरे की अधिक उम्र व अस्वस्थता के कारण उनका अमरीका जाना मुश्किल है तो वह शिवसेना के अन्य नेताओं को भी अमरीका आमंत्रित करने के लिए तैयार था.