किसकी खाट खड़ी करेंगे, राहुल ?
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार से यूपी में ‘खाट पंचायत’ करेंगे. दरअसल, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी यूपी में पार्टी के 27 साल से चले आ रहे वनवास को खत्म करने ‘किसान यात्रा’ शुरु कर रहें हैं. इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी खाटो पर बैठकर किसानों के साथ चर्चा करेंगे. इस यात्रा की रणनीति है कि राहुल गांधी किसानों से सीधे बात करेंगे तथा यूपीए सरकार के कर्ज माफी के बारें में बतायेंगे. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी किसानों से बिजली का बिल आधा किये जाने का वादा भी करेंगे. राहुल गांधी की रणनीति यूपी चुनाव के पहले किसानों में पैठ बनाने की है.
यूपी में फिलहाल समाजवादी पार्टी सत्ता में है. दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी तथा भाजपा का पूरा जोर है कि किसी तरह से यूपी विधानसभा में जीत हासिल कर ली जाये. भाजपा के लिये तो यूपी विधानसभा के चुनाव नतीजे पर उसकी अगली लोकसभा चुनाव की रणनीति टिकी हुई है. भाजपा के लिये किसी तरह से यूपी का चुनाव जीतना है.
जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा यूपी में जीत हासिल नहीं कर सकी तो भाजपा विरोधी पार्टियां उसके खिलाफ अगले लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर खड़ी हो जायेंगी. ऐसे में सवाल किया जा रहा है कि राहुल गांधी अपनी ‘खाट पंचायत’ के माध्यम से किसे निशाना बनाना चाहते हैं, सपा, बसपा या भाजपा को ?
राहुल ने कहा है कि देवरिया से दिल्ली तक 2500 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली इस यात्रा का लक्ष्य सरकारी संसाधनों में गरीबों किसानों और मजदूरों के अधिकारों को सुरक्षित करना है. कांग्रेस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार राहुल की किसान यात्रा देवरिया जिले के पंचलारी कृतपुरा गांव से शुरू होगी और हर-घर तक पहुंच कर किसानों का मांग पत्र इकट्ठे करेगी.
यात्रा के दौरान किसानों से सीधा संवाद कायम करने के लिए खाट पंचायतों का आयोजन किया जाएगा. यह कार्यक्रम बहुत कुछ वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के ‘चाय पर चर्चा’ कार्यक्रम की तर्ज पर होगा. कांग्रेस उपाध्यक्ष अपनी इस यात्रा के दौरान कई इलाकों में रोड शो का भी आयोजन करेंगे. बहरहाल, अगले लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस की रणनीति है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में यूपी विधानसभा का चुनाव जीतकर अपने पक्ष में माहौल बनाया जाये.
जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार के राज में जिस तरह से महंगाई बढ़ी है, रोजगार के अवसर छीने हैं तथा बड़े उद्योगपतियों के पक्ष मे जिस तेजी से फैसले लिये जा रहें हैं, ऐसे माहौल में कांग्रेस ही एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है जो अपने-आप को विकल्प के तौर पर पेश कर सकती है. जाहिर है कि इसकी जिम्मेदारी पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कंधों पर आन पड़ी है.