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vyapam: सीबीआई जांच करे- कांग्रेस

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने के लिये कांग्रेस ने याचिका दायर की है. पार्टी ने मंगलवार को कहा कि उसे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले की जांच के लिए नियुक्त किए गए विशेष जांच दल पर भरोसा नहीं है. वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने एसआईटी के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रेश भूषण से हो रही मौतों की जांच करने के लिये ज्ञापन सौंपा है. माकपा ने सीधे-सीधे भाजपा तथा संघ के नेताओं को बचाये जाने का आरोप लगाया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका में उन्होंने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है कि एसआईटी सफल नहीं हुई है, इसीलिए इस मामले का संज्ञान लें.

व्यापमं में मेडिकल, इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले और नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर हुई धांधली की आंच राज्यपाल व मुख्यमंत्री से लेकर कई बड़े नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापारियों पर आई है. एफआईआर दर्ज होने पर राज्यपाल को अदालत से ‘महामहिम’ होने का लाभ लेना पड़ा है.

वर्ष 2013 से लेकर अब तक इस घोटाले से जुड़े 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें राज्यपाल रामनरेश यादव के पुत्र शैलेश यादव की मौत भी शामिल है.

25 मई 2015 को शैलेश उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के माल एवेन्यू इलाके स्थित अपने पिता के घर पर संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे.

दिग्विजय सिंह ने कहा, “हम सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे, और आग्रह करेंगे कि वह इस मामले में एक निगरानी समिति का गठन करें.”

उन्होंने कहा, “न केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बल्कि उनका पूरा दफ्तर इस घोटाले में शामिल है. हमने एसआईटी को एक फोन नंबर भी दिया है, जिसका ताल्लुक मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह से है.”

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस के पास इतने बड़े घोटाले की जांच के लिए न तो संख्याबल है और न ही क्षमता है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, “एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है.”

दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि देश में पिछले कुछ वर्षो में दाखिले से संबंधित जितने भी घोटाले हुए हैं, उन सबकी जड़ मध्य प्रदेश में ही है, इसलिए इस राज्य को घोटालों की राजधानी कहा जाने लगा है.

बीते दिनों में व्यापमं घोटाले से जुड़े दो आरोपियों की मौत के बाद से राज्य में एक बार फिर व्यापमं पर बहस छिड़ गई है. मीडिया रिपोर्ट और कांग्रेस जहां मौत का आंकड़ा 42 बता रही है, वहीं एसटीएफ ने यह संख्या 23 बताई थी. एसआईटी भी पहले मौतों की संख्या 40 के आसपास बता चुकी है.

इधर, मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को व्यापमं घोटाले की उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच कर रही एसआईटी के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रेश भूषण को ज्ञापन सौंपा. इसमें कहा गया है कि हाल ही में आपराधिक प्रकरणों में जुड़े विभिन्न व्यक्तियों की समय-समय पर हुई मौतों की जांच कर वास्तविकता को उजागर किया जाए, ताकि फैल रहे भ्रम का निवारण हो सके.

वहीं दूसरी ओर, माकपा के प्रदेश सचिव बादल सरोज ने कहा कि व्यापमं घोटाले से जुड़े गवाहों की एक के बाद एक हो रही मौतें योजनाबद्ध षड्यंत्र के रूप में सामने आने लगी हैं. किसी अपराध को छुपाने और उसमे फंसे बड़े मुजरिमों को बचाने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इस ‘व्यापकतम घोटाले’ की जांच कर रही एसआईटी और एसटीएफ जैसी जांच एजेंसियां अपना औचित्य खो चुकी हैं. इनकी तफ्तीश से कुछ नहीं निकलने वाला. इनका एकमात्र काम मुख्यमंत्री, भाजपा और आरएसएस के शीर्ष नेताओं को बचाने भर का बचा है.

उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि हर साल 1,000 फर्जी दाखिले होते हैं, इसके बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.”

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