छत्तीसगढ़ के संभाग आयुक्त न्यायालयों में लटके हज़ारों मामले
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में संभाग आयुक्त के न्यायालयों में महीने में एक प्रकरण का भी निपटारा नहीं हो रहा है.
संभागीय आयुक्त न्यायालयों में न्यायालयीन प्रकरणों का अंबार लगा हुआ है. रायपुर और बिलासपुर का हाल सबसे बुरा है.
राज्य के पांच संभागों में 31 जुलाई 2024 की स्थिति में कुल 15 हजार 110 न्यायालयीन प्रकरण संभागीय आयुक्त न्यायालयों में लंबित हैं.
इनमें से सर्वाधिक 6176 न्यायालयीन प्रकरण सरगुजा संभाग के न्यायालय में लंबित है. रायपुर संभाग के न्यायालय में 3219, बिलासपुर में 3032 और बस्तर संभागीय आयुक्त न्यायालय में कुल 1606 मामले लंबित हैं.
दुर्ग आयुक्त न्यायालय में सबसे कम 1077 मामले लंबित हैं.
प्रकरणों से निपटारे में दुर्ग सबसे आगे
न्यायालयीन प्रकरणों के निपटारे में दुर्ग संभाग न्यायालय सबसे आगे है.
पिछले पांच महीनों में प्रदेश के पांचों संभाग के न्यायालयों में कुल 402 प्रकरणों का निपटारा किया गया है.
इसमें सर्वाधिक 314 प्रकरणों को निपटारा अकेले दुर्ग न्यायालय ने किया है.
दुर्ग आयुक्त न्यायालय ने मार्च में 54, अप्रैल में 55, मई में 50, जून में 62 और जुलाई में 93 प्रकरणों का निपटारा किया है.
सरगुजा संभाग न्यायालय ने 61 और बस्तर संभाग आयुक्त न्यायालाय ने पांच महीनों में कुल 24 प्रकरणों का निराकरण किया है.
रायपुर-बिलासपुर संभाग आयुक्त न्यायालय पीछे
न्यायालयीन प्रकरणों के निपटारे के मामले में रायपुर और बिलासपुर संभाग आयुक्त न्यायालय सबसे पीछे रहे हैं.
रायपुर संभाग न्यायालय ने पिछले पांच महीनों में 2 और बिलासपुर संभाग आयुक्त न्यायालय ने महज 1 प्रकरण का निपटारा किया है.
रायपुर संभाग न्यायालय ने मार्च 2024 में 2 प्रकरणों का निपटारा किया था.
उसके बाद से एक भी न्यायालयीन प्रकरण का निपटारा नहीं हुआ है.
वहीं बिलासपुर संभाग न्यायालय ने जुलाई महीने में 1 प्रकरण को निराकृत किया है.
मार्च से जून तक एक भी प्रकरण का निपटारा नहीं हो पाया था.
संभागायुक्तों के कामकाज पर सवाल
लंबित न्यायालयीन प्रकरणों की संख्या और उसके निपटारे की गति को देखते हुए संभागायुक्तों के कामकाज पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
संभागायुक्त पद पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की नियुक्ति की जाती है. ये अधिकारी आमतौर पर राज्य सरकार के सचिव या प्रमुख सचिव रैंक के होते हैं.
संभाग में संभागायुक्त की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. वह संभाग में स्थित राज्य सरकार के सभी कार्यालयों का प्रमुख पर्यवेक्षी अधिकारी होता है.
एक संभागायुक्त के पास संभाग के राजस्व, विकास और प्रशासन के पर्यवेक्षण की प्रत्यक्ष जिम्मेदारी होती है. संभागायुक्त संभाग में सरकारी संस्थानों की अध्यक्षता भी करते हैं.
संभागीय आयुक्त अपने नियंत्रण में आने वाले जिलों के सामान्य प्रशासन और योजनाबद्ध विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं.
इन सबके साथ ही राजस्व मामलों के लिए वे अपील अदालत के रूप में कार्य करते हैं.