कोयला श्रमिकों की हड़ताल समाप्त
नई दिल्ली | एजेंसी: कोयला श्रमिकों की हड़ताल सरकार के साथ हुई एक वार्ता के बाद समाप्त हो गई. हड़ताल समाप्त होने की घोषणा बुधवार रात भारतीय मजदूर संघ, बीएमएस के उपाध्यक्ष बसंत कुमार राय ने की.
राय ने कहा, “हड़ताल बुधवार को दूसरे दिन वापस ले लिया गया है.”
उन्होंने कहा कि कोयला श्रमिकों की मांग पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें सरकारी अधिकारी और श्रमिक संघ के पदाधिकारी होंगे. समिति सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगी.
कोयला श्रमिक निजी क्षेत्र के लिए कोयला खनन और खुले बाजार में इसे बेचे जाने की अनुमति का विरोध कर रहे थे. वे कार्य दिवस कम करने और सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने तथा भूमि खोने पर मुआवजे की मांग कर रहे थे.
बीएमएस के बादल महाराणा ने कहा कि कोल इंडिया के पुनर्गठन का फैसला श्रमिकों के हित के विरुद्ध है और उससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा. उन्होंने 204 कोयला ब्लॉक की नीलामी रोकने की भी मांग की.
बुधवार को कोयला श्रमिकों की हड़ताल का दूसरा दिन था. प्रमुख उद्योग संघों ने बिजली संकट की संभावना को देखते हुए हड़ताल समाप्त किए जाने की मांग की थी.
उद्योग संघों ने कहा था कि कोल इंडिया के पुनर्गठन से निजीकरण का कोई संबंध नहीं है.
खास बात यह है कि इस हड़ताल में भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ ने भी हिस्सा लिया था और केंद्र में इस समय भाजपा की सरकार है.
एसोचैम ने कहा था कि हड़ताल से उत्पादन घटने की वजह से हर रोज 200 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
हड़ताल में शामिल संगठनों में भारतीय मजदूर संघ , इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस और हिंद मजदूर संघ शामिल थे. ये कोल इंडिया के लगभग पांच लाख श्रमिकों में से करीब 90 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं.
कोल इंडिया का देश के कुल कोयला उत्पादन में करीब 82 फीसदी योगदान है.