छत्तीसगढ़

कोयला खदान के विरोध में राज्यव्यापी आन्दोलन

कोरबा । संवाददाताः कोयला खदान के विरोध में छत्तीसगढ़ के आदिवासी और किसान राज्यव्यापी आन्दोलन करेंगे. हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हसदेव अरण्य क्षेत्र की 20 ग्राम सभाओं ने कोयला कंपनियों से अपने जंगल को बचाने का संकल्प दोहराया और इसके लिए किसी भी स्तर पर लड़ाई के लिए एकजुटता का संकल्प लिया.

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इसी अवसर पर मदनपुर में आयोजित हुए सम्मलेन में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की ओर से इन सभी ग्राम सभाओं ने देश के प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी कि देश के पर्यावरण बचाने की मुहिम में वो हमारा साथ दें. हालांकि उस चिठ्ठी पर अभी तक कोई जवाब प्रधानमंत्री जी की तरफ से नहीं आया.

आज के सम्मलेन में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविन्द नेताम, छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन से आनंद मिश्रा, कामरेड नन्द कश्यप, बिजय भाई, पीयूसीएल से लाखन सिंह, प्रियंका शुक्ला ,दलित आदिवासी मंच से राजिम केत्वास व देवेन्द्र ने शिरकत की और संघर्ष को समर्थन दिया.

कामरेड नन्द कश्यप ने हाल ही में हुए पेरिस सम्मलेन का हवाला देते हुए पर्यावरण को लेकर भारत के प्रधानमंत्री के वक्तव्य का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा कि धरती के बढ़ते ताप को कम करने के लिए हम प्राकृतिक जीवन शैली को प्रोत्साहित करेंगे. हसदेव अरण्य के आदिवासी उसी जीवन शैली में जी रहे हैं, फिर क्यों उन्हें उजाड़ कर खनन कमपनियों को दिया जा रहा है?

अरविन्द नेताम ने कहा कि अडानी और रमन सिंह सरकार के गठजोड़ के खिलाफ यह लड़ाई आसान नहीं है लेकिन आपके पास संविधान और कानून का आधार है और आप इसी आधार पर अपनी इज्ज़त, अपनी पहचान और अपने समाज के लिए लड़ रहे हैं. आने वाले दिन आपके लिए और भी खतरनाक होंगे पर क्योंकि ये सरकारें आपको ख़त्म करके ही विकास करना चाहती हैं.

आनंद मिश्रा ने कहा कि यह लड़ाई केवल अपनी ज़मीन बचाने की नहीं है बल्कि यह हसदेव अरण्य को बचाने की लड़ाई है और हसदेव अरण्य बचाने का मतलब है पूरे छत्तीसगढ़ की और पूरे देश की जलवायु व मानसून को बचाने की लड़ाई है. हम ज़रूर जीतेंगे पर हमें सतर्क रहना है कि हम एकजुट रहें और किसी प्रलोभन मेंआकर उनकी दलाली न करें.

बिजय भाई ने 2016 के संशोधित आदिवासी अत्याचार निवारण कानून का हवाला देते हुए कहा कि हसदेव अरण्य के लोगों को अधिकारियों व नेताओं के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इस कानून के तहत जीविका के साधनों को जबरन हड़पने की सरकारी कोशिश भी अत्याचार के तहत आती है.

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर सिंह ने सम्मलेन की शुरुआत में कहा कि फर्जी पर्यावरण दिवस मनाने वालों के बरक्स हसदेव अरण्य को बचाने वाले लोग आज एकजुट हुए हैं और इससे इस दिवस को मनाने की मूल भावना मजबूत हुई है. छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने ऐतिहासिक पृष्ठ्भूमि के साथ हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के गठन व उसके उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए आज की चुनौतियों पर विस्तार से अपनी बात रखी.

छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के कलादास व उनकी सांस्कृतिक टीम ने संघर्ष गीतों के माध्यम से सम्मलेन में आये लोगों की चेतना को झकझोरा. आज हुए सम्मलेन में हसदेव क्षेत्र के विभिन्न गाँवों से करीब दस पंचायत प्रतिनिधियों सहित करीब पांच सौ महिलाओं-पुरुषों ने भाग लिया.

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