छत्तीसगढ़

राज्य सरकार के लिये वाणिज्यिक उपयोग वर्जित

रायपुर | समाचार डेस्क: कांग्रेस के पूर्व विधायक ने सुप्रीम कोर्ट के 25 अगस्त के आदेश के उल्लेख करते हुए कोल ब्लाकों पर एक प्रेस विज्ञप्त्ति जारी किया है. छत्तीसगढ़ के पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर ने प्रेस विज्ञप्त्ति के माध्यम से कहा है कि “सुप्रीम कोर्ट के 25 अगस्त के आदेश में उल्लेख है कि खान एवं खनिज अधिनियम 1957 तथा इसमें संशोधन 1976 राज्य सरकार या उनके उपक्रमों को वाणिज्यिक उपयोग के लिये कोयला खनन की अनुमति नहीं देता.”

छत्तीसगढ़ के मामलों के कांग्रेस के अखिल भारतीय प्रवक्ता मोहम्द अकबर ने आगे अदालत के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा है कि ” ऐसा दिखता है कि समस्या 2001 के भारत सरकार के परिपत्र के कारण उत्पन्न हुई है जो राज्य सरकार की कंपनियों को कोल माइनिंग की अनुमति दे्ता है. जबकि कोल माइन्स नेशनलाइजेशन इस बात की अनुमति नहीं देता है.”

कांग्रेस के प्रवक्ता ने अपने प्रेस विज्ञप्त्ति में कहा है कि सीएजी के रिपोर्ट के अनुसार भी खनिज विकास निगम द्वारा भी इन कोल ब्लाकों को ज्वाइंट वेंचर कंपनी को देने में जो त्रुटिया की गई हैं उससे राज्य को 1052.20 करोड़ की क्षति संभावित थी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 25 अगस्त के आदेश में छत्तीसगढ़ के तीन कोल ब्लाकों शंकरपुर, भटगांव तथा सोन्डिहा का आवंटन अवैध घोषित किया है.

कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद अकबर ने अदालत के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा है ” उच्चतम न्यायालय के आदेश के पैरा 153 में छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम को आवंटित कोल ब्लाकों के संबंध में उदाहरण देते हुए कहा गया है कि छग खनिज विकास निगम को आवंटित किये गये कोल ब्लाकों के लिये 02.07.2008 में ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाने हेतु निविदाएं बुलाई गई थी जो कोयला जैसे मूल्यवान राष्ट्रीय संप्पत्ति के दोहन, खान के विकास, संचालन तथा वाणिज्यिक विक्रय करने का संपूर्ण कार्य निजी हाथों में सौंपने जैसा था, जो विधि अनुरूप नहीं था.”

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