अस्तित्व ही सहिष्णुता पर निर्भर: CJI
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सीजेआई ने कहा न्यायपालिका समावेशी मूल्यों पर हमले से लोगों को बचाने के लिए सक्षम है. देश के प्रधान न्यायाधीश का पदभार रविवार को संभालने के बाद तीरथ सिंह ठाकुर पहली बार संवाददाताओं से मुखातिब हुए. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और भ्रष्ट व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीशों के रिक्त पड़े पदों पर योग्य व्यक्ति की नियुक्ति कोई आसान काम नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार के एक-एक दिन के अंतराल पर सम-विषम नंबर वाली कार चलाने के फैसले का समर्थन किया.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “कानून के राज और संविधान की हिफाजत करने वाली संस्था के प्रमुख की हैसियत से मैं कह रहा हूं कि समाज के सभी तबकों के अधिकारों को सुरक्षित रखा जाएगा.”
उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि कैसे राजनैतिक लोग बातों को अपने हिसाब से मोड़ लेते हैं. उन्होंने कहा, “हमारा अस्तित्व ही सहिष्णुता पर निर्भर है.”
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “इतना बड़ा देश है. कुछ आवाज तो उठती ही रहती है. जब तक कानून का राज, संवैधानिक गारंटी और स्वतंत्र न्यायपालिका है, तब तक किसी बात का डर नहीं होना चाहिए.”
भारत की समृद्ध, समावेशी परंपराओं का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा, “यह देश दुनिया के सभी धर्मो का घर है. अन्य जगहों पर उत्पीड़न का शिकार हुए लोग यहां आए और फले-फूले.”
इस परंपरा को अपनी धरोहर बताते हुए प्रधान न्यायाधीश ने फारस से आए पारसी समुदाय का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इसी समुदाय से देश को सबसे अच्छे उद्योगपति मिले और सबसे अच्छे कानूनी जानकार भी. उनका इशारा नानी पालकीवाला और फली नारीमन जैसे कानून विशेषज्ञों की तरफ था.
न्यायमूर्ति ठाकुर ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आप सरकार के एक-एक दिन के अंतराल पर सम-विषम नंबर वाली कार चलाने के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें अदालत पहुंचने के लिए बस में सफर करने से कोई आपत्ति नहीं है.
न्यायमूर्ति ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों द्वारा ‘कार पूल’ करने से लोगों में अच्छा संदेश जाएगा.
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, “अगर सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश अपनी कार में अन्य न्यायाधीशों को लिफ्ट दें (कार पूल करें), तो इससे लोगों में सकारात्मक संदेश जाएगा. हम पैदल जा सकते हैं या बस भी ले सकते हैं.”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस समर्थन के लिए प्रधान न्यायाधीश का आभार जताया है.
केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा, “सम-विषम फार्मूले को उनका समर्थन सराहनीय और बहुत बड़ा प्रोत्साहन है. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों द्वारा कार पूल करने से लाखों लोगों को प्रेरणा मिलेगी. शुक्रिया, माई लार्ड्स.”
प्रधान न्यायाधीश ने कहा न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार और गला व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस मामले में पूरी असहिष्णुता बरती जाएगी.
किशोरों द्वारा किए गए अपराध के मामले में उन्होंने कहा कि इससे संबंधित एक विधेयक संसद के सामने है. उनके पास भी 14 मामले हैं. देखते हैं कि क्या निकलता है.
मौत की सजा के मामले पर उन्होंने कहा कि वह इसे खत्म किए जाने के लिए उठी आवाजों से परिचित हैं लेकिन आतंकवाद जैसे कई अपराधों की वजह से इसे कई आधुनिक देशों में भी खत्म नहीं किया गया है. भारत में वैसे भी मौत की सजा दुर्लभतम मामलों में ही दी जाती है.
उन्होंने न्यायाधीशों को मूल्यवान मानव संसाधन बताया और कहा कि अवकाश के बाद भी इनका महत्व है. अवकाश ग्रहण के बाद न्यायाधीशों को पद देने की आलोचना पर उन्होंने कहा, “अगर आपको लगता है कि न्यायाधीशों को वहां (आयोग-न्यायाधिकरण) नहीं होना चाहिए तो कानून बदलिए और इन्हें व्यवस्था से बाहर कर दीजिए.”
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उच्च न्यायालयों में रिक्त 400 पदों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति काफी बड़ा काम है और आसान नहीं है.
उन्होंने कहा कि वह इन रिक्त पदों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति का दुरूह कार्य तभी शुरू करेंगे, जब पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता का आश्वासन देगी.