चीन किसके साथ भारत या पाकिस्तान
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: यूएन में मसूद को आतंकी घोषित करने को वीटो करने के बाद चीन खुद को मुश्किल में पा रहा है. एक तरफ भारत ने चीन के साथ इस मुद्दे को उच्च स्तर पुर उठाया है दूसरी तरफ भारतीय मीडिया में दो दिन पहले खबर आई कि इससे चीनी कंपनियों को भारत में आसानी से व्यापार की अनुमति मिलनी बंद हो सकती है. जाहिर है कि एक समय का कठोर कम्युनिस्ट चीन आज अपने यहां खउले बाजार की अनुमति दे रहा है. इसी के चलते चीनी उत्पादों के लिये भारत एक बड़ा बाजार है. इसके अलावा चीनी कंपनिया भारत के पावर सेक्टर, टेलीकाम सेक्टर, रेलवे तथा इंफ्रा स्ट्रकचर के क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है. चीन कभी नहीं चाहेगा कि उसकी कंपनियों को भारत में कठोरता का सामना करना पड़ा.
बुधवार को चीन की आधिकारिक अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भी इस विषय पर अपनी चिंता जाहिर की है. चीन को डर है कि कहीं भारत मसूद को आतंकी घोषित करने के प्रयास को वीटो करने का बदला व्पायार पर पाबंदी के रूप में करता है तो चीन को लेने के देने पड़ जायेंगे. हालांकि भारत भी अपने देश में विदेशी निवेश को सरल बना रहा है तथा उसे प्रोत्साहित कर रहा है.
इसके बाद भी विदेश नीति तथा विदेश से व्यापार एक दूसरे के पूरक हैं इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.
भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयास को चीन द्वारा वीटो किए जाने के मुद्दे को उसके साथ उच्च स्तर पर उठाया है. कार्नेगी इनडॉउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के छठे अंतर्राष्ट्रीय केंद्र कार्नेगी इंडिया के लॉन्च अवसर पर विदेश सचिव एस.जयशंकर ने कहा, “हमने यह मुद्दा चीन के समक्ष उच्च स्तर पर उठाया है.”
पंजाब के पठानकोट में दो जनवरी को वायु सेना के अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले के सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का मुद्दा भारत ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष उठाया, जिस पर लगातार दूसरी बार चीन ने वीटो लगा दिया, जो पाकिस्तान का करीबी मित्र है.
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों द्वारा पठानकोट स्थित वायु सेना के अड्डे पर हमले के बाद भारत ने मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल करने के लिए फरवरी माह में संयुक्त राष्ट्र में गुहार लगाई थी.
चीन ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध कमेटी से मसूद अजहर को आतंकवादियों की सूची में शामिल करने के कदम को रोकने का अनुरोध किया था.
भारत ने चीन के इस कदम पर निराशा जताई और आतंकवाद से निपटने के लिए एक ‘चयनात्मक दृष्टिकोण’ अपनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध कमेटी की आलोचना की. भारत द्वारा मसूद के मुद्दे को चीन के साथ उच्च स्तर पर उठाये जाने से चीन के साथ-साथ पाकिस्तान पर भी दबाव पड़ेगा इसमें दो मत नहीं नहीं. आखिरकार भारत की सरकार को भई तो अपने जनता को जबाव देना है.
वहीं चीन को भी तय करना पड़ेगा कि वह किसके साथ है आतंकवाद के या शांित के साथ? (एजेंसी इनपुट के साथ)