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बचपन की यादें 7 की उम्र तक रहती हैं

न्यूयॉर्क | एजेंसी: हम जैसे ही सात वर्ष की अवस्था पार करते हैं, अपने बचपन की स्मृतियां भूलने लगते हैं. इसे ‘चाइल्डहुड एम्नीसिया’ कहा जाता है. अब तक वैज्ञानिकों को यही पता था कि बहुत कम व्यक्ति ही अपनी तीन वर्ष की अवस्था से पहले की बातें याद रख पाते हैं.

जॉर्जिया के एमोरी विश्वविद्यालय में मनोचिकित्सकों ने इस पर पहली बार अनुभव आधारित व्यापक अध्ययन किया. विश्वविद्यालय के एक मनोचिकित्सक पैट्रीसिया बॉयर ने कहा, “हमारा अध्ययन बचपन की बातें भूलने की बीमारी पर अनुभव के आधार पर किया गया पहला अध्ययन है. हमने बच्चों की स्मृतियां दर्ज कीं, और जब भविष्य में उनसे मुलाकात कर देखने की कोशिश की कि वे कब इन स्मृतियों को भूले.”

शोधकर्ताओं ने तीन वर्ष की अवस्था से बच्चों के उनकी स्मृतियों के बारे में साक्षात्कार लिए. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन का केंद्र इस बात पर रखा कि कैसे अपने जीवन की स्मृतियां बच्चे बड़े होते हुए भूलते हैं.

शोध पत्रिका ‘मेमोरी’ के ताजा अंक में प्रकाशित इस शोधपत्र में बताया गया है कि पांच, छह, सात, आठ और नौ वर्ष के बच्चों के विभिन्न आयुवर्गो पर उनकी स्मरण शक्ति का अध्ययन किया गया.

इस अध्ययन से बड़े ही रोचक तथ्य सामने आए. अध्ययन के अनुसार, पांच एवं छह वर्ष के बच्चे अपनी बचपन की स्मृतियां कहीं अधिक बता पाए, हालांकि वे उसे पूरी तरह नहीं बताने में असमर्थ रहे.

उनकी बनिस्बत अधिक उम्र के बच्चों में अपने बचपन की स्मृतियां बेहद कम पाई गईं, लेकिन जिन बच्चों को याद रहीं उन्हें घटनाएं कहीं विस्तार से याद रहीं.

बाल मनोविज्ञान के जनक माने जाने वाले आस्ट्रेलियाई मनोविश्लेषक सिगमंड फ्रायड ने इस बीमारी के लिए ‘चाइल्डहुड एम्नीसिया’ शब्द का पहली बार प्रयोग किया था.

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