छत्तीसगढ़: विकास में भागीदार महिलायें
रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ की महिलाएं अपने प्रदेश के चहुंमुखी और तेज विकास में पुरुषों के साथ बराबरी से भागीदार बनी हुई हैं. राज्य की पंचायत संस्थाओं के चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. घर-परिवार की देखभाल में तो महिलाएं अव्वल हैं ही, वे अब पंचायतों में जनप्रतिनिधि के रूप में भी अपनी निर्णायक भूमिका निभा रही हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पर्यवेक्षक, महिला समूह, सुपोषण मित्र सहित अनेक रूपों में महिलाएं राज्य के भविष्य नन्हे-मुन्ने बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल के साथ उन्हें प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने का काम कर रही हैं. वास्तव में महिलाएं किसी भी देश अथवा राज्य में मानव समाज का आधार स्तंभ होती हैं.
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के विकास में महिलाओं की भूमिका की सराहना की है. वे महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के पक्षधर रहे हैं.
डॉ. सिंह अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों में हमेशा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इस प्रसिद्ध विचार का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि एक महिला के शिक्षित और सशक्त होने से दो परिवार शिक्षित और संपन्न हो जाते हैं. उन्होंने महिलाओं की काबिलियत को समझा और उन्हें हर क्षेत्र में आगे आने का मौका दिया है. उनके नेतृत्व में प्रदेश में महिला शिक्षा और सशक्तीकरण के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं. वैसे तो पहले से ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की बराबर हिस्सेदारी रही है.
खेती-किसानी के कार्यो में यहां की महिलाएं निपुण हैं ही, पर अब तो खेतों में निंदाई, कोड़ाई और मिसाई के अलावा यहां की हजारों महिलाएं सफलतापूर्वक खुद का व्यवसाय कर रही हैं. प्रदेश में राशन दुकान, कपड़ा दुकान, सिलाई दुकान, श्रृंगार दुकान, होटल, थोक में बड़ी, पापड़, अचार और छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की बिक्री तथा ब्यूटी पार्लर जैसे लाभकारी व्यवसाय उनके लिए आत्मनिर्भरता की सीढ़ी बन चुके हैं.
छत्तीसगढ़ में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के संचालन, आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए पूरक पोषण आहार और स्कूलों में मध्याह्न् भोजन तैयार करने का सौ फीसदी कार्य भी महिलाओं को ही दिया गया है.
प्रदेश के करीब 50 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में करीब 15 सौ महिला स्व-सहायता समूह रेडी-टू-इट फूड बना रहे हैं. इन केंद्रों में बच्चों के लिए नाश्ता और गर्म पके हुए भोजन तैयार करने का काम भी करीब 20 हजार महिला समूह की महिलाएं कर रही हैं.
राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत सीटों में आरक्षण प्रदान कर प्रदेश के विकास में उनकी भूमिका सुनिश्चित कर दी है. कुपोषण मुक्ति अभियान में महिलाओं की सक्रियता से ही आज राज्य में कुपोषण दर में लगातार कमी आ रही है.
वजन त्योहार के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में कुपोषण का स्तर करीब 33 प्रतिशत ही रह गया है, जबकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-2003 के अनुसार वर्ष 2005 में यहां कुपोषण 52 प्रतिशत था.
राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ की महिलाओं को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए प्रदेश में महिलाओं के नाम पर जमीन खरीदी पर रजिस्ट्री शुल्क में एक प्रतिशत की छूट दी है. इसी तरह गरीब परिवार की कक्षा 9वीं और कक्षा 10 दसवीं की बालिकाओं को सरस्वती सायकल योजना में नि:शुल्क सायकल वितरित की जा रही है. इससे बेटियों को आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहन और मदद मिल रही है.
असंगठित क्षेत्र की महिला श्रमिकों को भी नि:शुल्क सायकल और सिलाई मशीन वितरित किया जा रहा है. साइकिल मिलने से उन्हें कार्यस्थल तक जाने में सुविधा हो रही है, वहीं सिलाई सीखकर वे चाहें तो सिलाई-बुनाई को आमदनी का जरिया बना सकती हैं.
छत्तीसगढ़ महिला कोष की ऋण योजना और सक्षम योजना भी राज्य की महिलाओं को सक्षम बनाने सफल रही है. महिला कोष की ऋण योजना में महिला समूहों को केवल तीन प्रतिशत की ब्याज दर पर कारोबार के लिए दो लाख रुपये तक का ऋण दिया जा रहा है. करीब 26 हजार महिला समूहों को इस योजना का लाभ मिल चुका है, जबकि सक्षम योजना के तहत विधवा, तलाकशुदा और 35 से 45 वर्ष आयु की अविवाहित महिलाओं को आसान शर्तों पर व्यवसाय के लिए ऋण दिया जा रहा है.
राज्य सरकार ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के प्रति सजग रहते हुए महिलाओं का कार्यस्थल पर लैगिंक उत्पीड़न अधिनियम 2013, लैंगिक अपराधों से बच्चों के संरक्षण कानून, घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण कानून और छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम-2005 लागू की है.
महिलाओं और बालिकाओं की आपातकालीन सहायता के लिए प्रदेश में दूरभाष हेल्पलाइन-1091 की सेवा संचालित है. गर्भवती और शिशुवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से स्वादिष्ट और पौष्टिक पूरक पोषण आहार वितरण किया जा रहा है. उन्हें इन केंद्रों में महतारी लइका नमक योजना के तहत डबल फोर्टिफाइड साल्ट भी प्रदान किया जा रहा है.
गरीब परिवार की विवाह योग्य बेटियों के सम्मानपूर्वक विवाह के लिए वर्ष 2005-06 से प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना संचालित है, योजना के तहत प्रदेश की करीब 55 हजार बेटियों की शादी कराई जा चुकी है. प्रदेश की महिलाएं राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर आगे बढ़ ही रही हैं.
इसके अलावा वे अपनी मेहनत और खुद की योग्यता के बल पर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और राज्य के खेल जगत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.