छत्तीसगढ़: UID से नेत्रहीन वंचित
कोरबा | अब्दुल असलम: छत्तीसगढ़ के कोरबा में नेत्रहीनों का ‘आधार कार्ड’ नहीं बन पा रहा है. छत्तीसगढ़ के कोरबा में नेत्रहीनों का ‘आधार कार्ड’ बनाते समय उसके सिस्टम में खामी का पता चला है. नेत्रहीनों के रेटिना का स्केन न होने के कारण उनका ‘आधार कार्ड’ नहीं बन पा रहा है. इससे सवाल उठता है कि देश के बाकी स्थानों पर किस तरह से नेत्रहीनों का ‘आधार कार्ड’ बनाया जा रहा है. कोरबा में ‘आधार कार्ड’ बनाने वालों का दावा है कि देश के दूसरे स्थानों पर भी इसी खामी का पता चला है.
केंद्र सरकार की महती योजना ‘आधार कार्ड’, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, यूआईडीएआई द्वारा हर नागरिक के लिए जहॉ अनिवार्य मानकर पूरी की जा रही है वही इसे देश के हर नागरिक की पहचान के लिए आवश्यक दस्तावेज भी माना जा रहा है. इसके बावजूद कुछ लोग ऐसे भी है जिन्हे इस योजना से फिलहाल वंचित होना पढ़ रहा है हम उन नेत्रहीनों की बात कर रहे है जिनका ‘आधार कार्ड’ नहीं बन पा रहा हैं.
ऐसे में इन्हे खुद की पहचान के लिए मशक्कत करना पड सकता हैं. आखिर क्यों नहीं जारी हो रहें हैं इन नेत्रहीनों के कार्ड जबकि इनकी तस्वीर लेने के बाद सिस्टम उसको रिजेक्ट कर देता हैं.
जी हां, कम से कम छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के लिए तो ऐसा ही कह सकते हैं यहां नेत्रहीनों को आधार कार्ड जारी ही नहीं किए जा रहे हैं. जबकि आधार कार्ड को आज रसोई गैस सब्सिडी, पासपोर्ट, बैंक खाता खुलवाने सहित सभी के लिए अनिवार्य पहचान पत्र के रुप में उपयोग किया जा रहा हैं.
छत्तीसगढ़ के कोरबा के नेत्रहीनों को इस सुविधा का लाभ फिलहाल मिलता नही दिख रहा है. कोरबा मे गिनती के कम्प्यूटर ऑपरेटरो द्वारा आधार कार्ड बनाने का काम किया जा रहा हैं जहां हर रोज लंबी लाईनों के बीच कुछ नेत्रहीन अपनी बारी का इंतजार करते नजर आ जाएंगे. इस उम्मीद के साथ कि कहीं आज उनका आधार कार्ड बन जाये.
कुछ ऑपरेटरों को अगर इन लोगो पर तरस आ भी जाये तो कम्प्यूटर में इनका डाटा फीड करने के बाद रिजेक्ट हो जाता हैं. केंद्र सरकार द्वारा यूनिक आइडेंटीफिकेशन अथारिटी ऑफ इंडिया का गठन सभी भारतीयों के लिये नि:शुल्क पहचान पत्र यानी ‘आधार कार्ड’ बनाने के लिए किया गया हैं.
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में आधार कार्ड बनाने का काम अब भी कई ब्लाकों में चल रहा हैं. ‘आधार कार्ड’बनाने के लिए डयूटी पर लगा अमला लोगों को आईडी प्रुफ के साथ आवेदन लेकर आने पर ही इनका ‘आधार कार्ड’ बनाया जा रहा हैं.
इसके लिए संबंधित व्यक्ति की फोटो ली जा रही हं इसके अलावा बायोमैट्रिक सिस्टम से दोनों हाथों की उंगलियों के निशान अंगूठे के निशान व आंखो की रेटिना की स्कैनिंग की जा रही हैं. मगर जो व्यक्ति नेत्रहीन है उनका ‘आधार कार्ड’ नहीं बन रहा हैं ऐसे में ये नेत्रहीन आधार कार्ड बनाने कहां जाये.
जब हमने इस को लेकर इन कम्प्यूटर ऑपरेटरो से जानकारी ली तो उनका कहना है कि नेत्रहीन लोगो की रेटिना नहीं होने से स्कैनिंग में कुछ नहीं आता. ऐसे मे इसे यूआईडीएआई में भेजे जाने पर यह कहकर रिजेक्ट कर दिया जाता हैं कि आवेदक ने आंख मूंदकर फोटो खिचाई हैं. लगातार आ रही नेत्रहीनों की दिक्कत को देखते ऑपरेटर भी नेत्रहीनों की मदद करना चाहते हैं लेकिन सिस्टम में दिए सीमित कमांड की वजह से वो अपने को मजबूर बता रहे हैं.
ऑपरेटरों की माने तो ये समस्या केवल जिले की नही है पूरे देश के नेत्रहीन इससे पीडित हैं.
वही इसके लिए यूआईडीएआई को ही कोई ठोस उपाए करने की जरुरत हैं. इधर जिला आधार कार्ड प्रभारी की माने तो जिले को मिले लक्ष्य की तुलना में करीब 80 फीसदी लोगो का आधार कार्ड पंजीयन कर लिया गया हैं. वहीं, नेत्रहीन लोगो के लिये आधार कार्ड का पंजीयन नहीं हो रहा है.
इस सवाल पर अधिकारी कोई स्पष्ट जवाब नहीं बता रहे है. राष्ट्रीय पहचान के लिये जहां आधार कार्ड को अनिर्वाय माना जा रहा है ऐसे में इन नेत्रहीनों की समस्यायो का समाधान फिलहाल निकलता नहीं दिख रहा है.