छत्तीसगढ़: स्वास्थ्य बीमा का सच
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में स्मार्ट कार्डधारी परिवारों पर अब तक औसतन 5,862 रुपये प्रति परिवार भुगतान किये गये. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना तथा मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्डधारी परिवार को साल में 30 हजार रुपये की चिकित्सा का खर्च सरकार वहन करती है. वित्तीय वर्ष 2015-16 का यह पांचवा माह चल रहा है और 30 हजार के बजाये औसतन महज 5,862 रुपये प्रति परिवार भुगतान किये जा सके हैं. इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि ऐसे समय में जब चिकित्सा के खर्च आसमान छू रहें हैं तब सरकारी योजनाओं का कितना लाभ लोगों को मिल पा रहा है. इतने पैसे तो एक परिवार को साधारण चिकित्सा करवाने में ही लग जाते हैं. उल्लेखनीय है कि 30 हजार रुपयों का प्रावधान प्रति परिवार के लिये है व्यक्ति के लिये नहीं.
राज्य शासन द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत छत्तीसगढ़ में 41 लाख 22 हजार 368 परिवारों का पंजीयन कर उन्हें स्मार्ट कार्ड जारी किए जा चुके हैं. दोनों योजनाओं में राज्य शासन द्वारा 688 अस्पतालों का पंजीयन भी किया जा चुका है. इनमें 281 सरकारी और 407 निजी अस्पताल शामिल हैं.
विशेषकर निजी अस्पतालों में इतने कम खर्च में चिकित्सा हो सकती है जानकर सुखद आश्चर्य होता है. आकड़े चौंकाने वाले हैं तथा इस सत्य की ओर इशारा कर रहें हैं कि क्या वास्तव में इन दोनों सरकारी योजनाओं का लाभ जनता को मिल पा रहा है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना गरीबी की रेखा से नीचे वास करने वाले परिवारों के लिये केन्द्र सरकार ने 2009-10 में शुरु की थी तथा छत्तीसगढ़ सरकार ने इससे छूटे परिवारों के लिये मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना शुरु की है. इसके तहत मेडिकल या सर्जिकल केस में अस्पताल में भर्ती रहकर चिकित्सा करवाने का खर्च दिया जाता है. इस योजना के तहत 1159 प्रकार के शल्य क्रियाओं का खर्च सरकार देती है.
छत्तीसगढ़ में अब तक तेरह लाख से अधिक परिवारों ने दोनों योजनाओं में निःशुल्क इलाज की सुविधा का लाभ उठाया है. उनके इलाज के लिए संबंधित अस्पतालों को लगभग 762 करोड़ 18 लाख रुपए का भुगतान भी राज्य शासन द्वारा किया जा चुका है. छत्तीसगढ़ सरकार के दिये हुये इस आकड़े के आधार पर कहा जा सकता है कि सरकार की इन दोनों योजनाओं के माध्यम से स्मार्ट कार्ड वाले औसतन प्रति परिवार पर 5,862 रुपये खर्च किये गये हैं.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना तहत जिला बालोद में 85 हजार 042 परिवार लाभान्वित हुए. इसमें क्लेम की राशि लगभग 50 करोड़ रूपये है. इस तरह से प्रति परिवार औसतन 5,879 रुपये इस योजना के तहत दिये गये.
बलौदा बाजार-भाटापारा जिले में 35 हजार 942 परिवारों के इलाज पर 25 करोड़ 15 लाख रुपये खर्च किये गये. इस तरह से इस क्षेत्र में प्रति परिवार 6,997 रुपये दिये गये.
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में 24 हजार 789 परिवार के इलाज पर 13 करोड़ 40 लाख रूपए अर्थात् प्रति परिवार 5,405 रुपये खर्च किये गये.
बस्तर जिले में 20 हजार 458 परिवार के इलाज पर 10 करोड़ रूपए याने 4,888 रुपये.
बेमेतरा जिले में 29 हजार परिवारों के इलाज पर 20 करोड़ 84 लाख रूपए खर्च किए गए हैं, जिसका अर्थ हुआ कि यहां पर प्रति परिवार 7,186 रुपये.
दोनों बीमा योजनाओं के तहत बीजापुर जिले में 9 हजार 112 परिवारों के इलाज पर चार करोड़ 11 लाख रुपये याने प्रति परिवार 4,510 रुपये.
बिलासपुर जिले में 91 हजार 846 परिवारों के इलाज पर 55 करोड़ 46 लाख रुपये याने 6,038 रुपये प्रति परिवार.
दन्तेवाड़ा जिले में 12 हजार 675 परिवारों के इलाज पर पांच करोड़ 80 लाख रुपये. प्रति परिवार याने 4,575 रुपये.
धमतरी जिले में एक लाख छह हजार 923 परिवारों पर 61 करोड़ 29 लाख रूपए. प्रति परिवार 5,732 रुपये.
इसी कड़ी में दुर्ग जिले में एक लाख 25 हजार 562 परिवारों के इलाज पर 63 करोड़ 44 लाख रूपए याने प्रति परिवार 5,052 रुपये.
गरियाबन्द जिले में 18 हजार 759 परिवारों के इलाज पर 11 करोड़ 39 लाख याने 6,071 रुपये.
जांजगीर-चाम्पा जिले में 69 हजार 770 परिवारों के इलाज पर 46 करोड़ 39 लाख रुपये अर्थात् प्रति परिवार 6,648 रुपये.
जशपुर जिले में 64 हजार 950 परिवारों के इलाज पर 28 करोड़ 21 लाख रूपए याने 4,343 रुपये प्रति परिवार.
कांकेर जिले में 86 हजार 822 परिवारों के इलाज पर 43 करोड़ 66 लाख रूपए स्मार्ट कार्डों से खर्च किए गए हैं. इसके अनुसार प्रति परिवार 5,028 रुपये.
कवर्धा जिले में 41 हजार 386 परिवारों के इलाज के लिए 33 करोड़ 16 लाख रुपये याने प्रति परिवार 8,812 रुपये.
कोण्डागॉव जिले में 17 हजार 539 परिवारों को आठ करोड़ 58 लाख रुपये, प्रति परिवार 4,891 रुपये.
कोरबा जिले में 31 हजार परिवारों के इलाज के लिए 17 करोड़ 71 लाख रुपये याने प्रति परिवार 5,712 रुपये.
कोरिया जिले में 36 हजार 547 परिवारों के इलाज पर 18 करोड़ 70 लाख रुपये याने प्रति परिवार 4,971 रुपये प्रति परिवार.
महासमुन्द जिले में 43 हजार 495 परिवारों के इलाज पर 28 करोड़ 54 लाख, प्रति परिवार 6,561 रुपये.
मुंगेली जिले में 21 हजार 405 परिवारों के इलाज पर 16 करोड़ 32 लाख रूपए का भुगतान अस्पतालों को किया गया है जिसका अर्थ है कि प्रति परिवार 7,624 रुपये खर्च किये गये.
नारायणपुर जिले में 8 हजार 900 परिवारों के इलाज पर चार करोड़ 13 लाख रुपये, प्रति परिवार 4,640 रुपये.
रायगढ जिले में 49 हजार 278 परिवारों के इलाज पर 31 करोड़ 57 लाख, प्रति परिवार 6,406 रुपये.
रायपुर जिले में एक लाख 26 हजार 833 परिवारों के इलाज पर 81 करोड़ 71 लाख रुपये, प्रति परिवार 6,442 रुपये.
राजनांदगॉव जिले में 61 हजार 755 परिवारों के इलाज पर 33 करोड़ 31 लाख रुपये, प्रति परिवार 5393 रुपये.
सरगुजा जिले में 63 हजार 599 परिवारों के लिए 28 करोड़ 79 लाख, प्रति परिवार 4,526 रुपये.
सुकमा जिले में एक हजार 015 परिवारों के लिए 57 लाख रुपये, प्रति परिवार 5615 रुपये.
सूरजपुर मे 37 हजार 674 परिवारों के लिए 20 करोड़ 12 लाख रूपए दोनों योजनाओं में स्मार्ट कार्ड के जरिये अस्पतालों को दिए गए हैं. जिसका अर्थ है कि इस जिले में भी प्रति परिवार 5,340 रुपये दिये गये हैं. वित्तीय वर्ष 2015-16 की समाप्ति के बाद ही सटीक तौर पर निष्कर्ष निकाला जा सकेगा कि 30 हजार रुपयों तक के चिकित्सा का खर्च सरकार द्वारा वहन किये जाने के दावों की वास्तविकता क्या है?