छत्तीसगढ़ में बस्तर का आदि वास
जगदलपुर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ में जीडीपी के बढ़ते आंकड़े आदिवासियों के जीवन में बदलाव नहीं ला पाये हैं. बस्तर के किसी भी जिले में आदिवासियों के पास आधुनिक विकास की सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं. इन जिलों में लोगों के पास भले प्रति व्यक्ति 52,689 रुपये शुद्ध आय का सरकारी झुनझुना हो लेकिन हकीकत इससे दूर है. भारत सरकार की जनगणना के आंकड़े तो कम से कम यही बयान करते हैं. इन आदिवासियों के साथ सबसे बड़ा संकट अब पैदा होने वाला है, जब आदिवासियों को सब्सिडी उनके बैंक खाते में जमा होगी. समस्या ये है कि बस्तर के 39 प्रतिशत परिवारों के पास तो बैंक खाता ही नहीं है.
बस्तर के बीजापुर जिले की आबादी 2,55,180 है. इस जिले में कुल परिवारों की संख्या 50,402 है. लेकिन इनमें से 27,557 परिवारों के पास न रेडियो है, न टेलीविजन. एक अदद साइकल तक इन परिवारों के पास नहीं है. और तो और, भारत सरकार द्वारा अनिवार्य बैंक खाता खोलने के निर्देश भी यहां ठेंगा दिखाते हैं. जिले के 54.6 प्रतिशत यानी आधी से अधिक आबादी इन तमाम सुविधाओं से वंचित है. जाहिर है, इन परिवारों में से किसी के पास भी मोटर साइकिल, रेडियो-ट्रांजिस्टर, टेलीविजन, कार, फोन या मोबाईल, कम्प्यूटर, इंटरनेट की बात करना भी बेमानी है.
दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा की आबादी है 5,32,791. इसके 1,14,067 में से 62,863 परिवार जनसंख्या गणना के लिये बनाये गये कई मापदंड़ों में ‘लागू नहीं’ भरने के लिये बाध्य हुये हैं. यानी जिले के 55 प्रतिशत परिवार तमाम आधुनिक सुविधाओं से वंचित हैं. सुविधाओं से वंचित यानी एक अदद साइकिल भी इन परिवारों के पास नहीं है और बैंक खाता भी नहीं. ऐसे परिवारों की संख्या दंतेवाड़ा में 55 प्रतिशत है.
उत्तर बस्तर कांकेर की कुल जनसंख्या 7,48,593 है तथा परिवारों की संख्या 1,58,184 है. इसमें से 33,279 परिवारों के पास साइकिल, मोटर साइकिल, रेडियो-ट्रांजिस्टर, टेलीविजन, कार, फोन या मोबाईल, कम्प्यूटर, इंटरनेट जैसी सुविधाएं नही हैं.
उसी प्रकार बस्तर जिले की आबादी है 14,11,644 तथा परिवार हैं 3,06,807 जिसमें से 28 प्रतिशत परिवार याने 86,785 परिवार बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. नारायणपुर में 1,40,206 की आबादी 26,953 परिवारों के रूप में बसती हैं. इनमें से 9,950 परिवार अर्थात् 36.9 प्रतिशत परिवार न तो टेलीविज़न देखता है न ही रेडियो सुनने की हालात में है.
जाहिर है, पूरे बस्तर संभाग के 39 प्रतिशत परिवार आधुनिक सुविधाओं से वंचित हैं और आने वाले दिनों में तमाम तरह की सरकारी सब्सिडियों से भी इन आदिवासियों को हाथ धोना पड़ेगा. हां, विकास की परिभाषा तय करने वाले कह सकते हैं कि बस्तर के आदिवासियों के लिये रेडियो, टीवी, साइकिल, फोन और बैंक खाते जरुरत का हिस्सा नहीं है. लेकिन ऐसी परिभाषाओं को गढ़ने वालों से पूछने का मन होता है कि ऐसी या इससे मिलती-जुलती कोई भी एक सुविधा आपसे छीन ली जाये तो आप पर कटे पक्षी की तरह फड़फड़ायेंगे या नहीं ?