छत्तीसगढ़ में त्रिकोणीय मुकाबले से परेशान दिग्गज
रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से पांच पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार ने कांग्रेस और भाजपा के दिग्गजों की नींद उड़ा दी है. बस्तर, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा और सरगुजा में मतदान के बाद त्रिकोणीय मुकाबले का असर दिखने की उम्मीद की जा रही है. यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा के रणनीतिकारों की चिंता बढ़ गई है.
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री सौदान सिंह भी मान रहे हैं कि प्रदेश में कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है. सौदान सिंह ने तीसरे चरण की तीन सीटों को लेकर वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ मंथन भी किया.
भाजपा नेताओं को बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और सरगुजा सीट से जो फीडबैक मिल रहा है, उसमें बिलासपुर में आम आदमी पार्टी (आप), जांजगीर-चांपा में बसपा और सरगुजा में तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी बड़ी संख्या में वोटरों को प्रभावित करते नजर आ रहे हैं.
पहले चरण में बस्तर में हुए मतदान में भाजपा के दिनेश कश्यप और कांग्रेस के दीपक कर्मा को आप की सोनी सोरी से मुकाबला करना पड़ा. सोनी के पक्ष में विदेशी गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) से लेकर कई सामाजिक कार्यकर्ता तक बस्तर पहुंचे थे.
बिलासपुर में कांग्रेस की करुणा शुक्ला और भाजपा के लखन साहू को आप के आनंद मिश्रा कड़ी टक्कर दे रहे हैं. शहरी क्षेत्र में मतदान के बाद दोनों दलों के समीकरण बिगड़ गए हैं. सामाजिक आंदोलन की पृष्ठभूमि वाले आनंद मिश्रा का शहरी क्षेत्र में खास प्रभाव देखने को मिला. यहां आप की टोपी पहनकर बड़ी संख्या में मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचे.
जांजगीर-चांपा में कांग्रेस के प्रेमचंद्र जायसी और भाजपा के कमला पाटले को बसपा के दूजराम बौद्ध से टक्कर मिल रही है. दूजराम बौद्ध बसपा से विधायक रह चुके हैं. उनके पक्ष में बसपा प्रमुख मायावती की सभा भी हुई थी. ग्रामीण क्षेत्र के वोटरों में बसपा की जबरदस्त पकड़ देखने को मिली.
कोरबा में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. चरणदास महंत और भाजपा प्रत्याशी बंशीलाल महतो को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हीरासिंह मरकाम से चुनौती मिल रही है. कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों को भितरघात की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है. आदिवासी क्षेत्रों में हीरासिंह मरकाम का खास असर देखने को मिल रहा है.
यही हाल सरगुजा में भी है. आदिवासी बहुल क्षेत्र में कांग्रेस के रामदेवराम और भाजपा के कमलभान को तृणमूल कांग्रेस के तुलेश्वर सिंह चुनौती दे रहे हैं. पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह का भी आदिवासी क्षेत्र में प्रभाव है. यहां भाजपा को विधानसभा चुनाव में आठ में से सात सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में तुलेश्वर सिंह की मजबूत उपस्थिति ने दोनों दलों के समीकरण को प्रभावित करने का काम किया है.