छत्तीसगढ़

पहले गुरुजी चखेंगे फिर परोसा जाएगा मिड डे मील

रायपुर: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के एक स्कूल में मिड-डे मील खाने से 40 बच्चों के बीमार होने की घटना से सबक लेते हुए राज्य सरकार ने मिड-डे मील भोजन की गुणवत्ता और साफ-सफाई पर पहले से ज्यादा पैनी निगाह रखने और चखने के बाद ही बच्चों को भोजन परोसने का निर्देश दिया है.

उल्लेखनीय है कि इस मामले में भोजन में छिपकली गिर जाने से वह विषक्त हो गया था. अब सरकार की ओर से स्कूली बच्चों के लिए संचालित मिड-डे मील भोजन योजना के तहत खाद्य सामग्री के सुरक्षित रखरखाव, तय मेनू का पालन करने और भोजन की गुणवत्ता पर विशेष रूप से ध्यान रखने संबंधी महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.

आदेश के तहत मिड-डे मील भोजन बनने के बाद उसे बच्चों को परोसने से पहले वहां के प्रधान अध्यापक तथा रसोइया चखेंगे तथा उनकी संतुष्टि के बाद ही बच्चों को भोजन दिया जाएगा.

इसके अलावा मिड-डे मील भोजन तैयार करने की सामग्री जिस कमरे या भंडार कक्ष में रखी जाती है उसे साफ रखने और उसमें कोई भी अन्य अखाद्य या जहरीली वस्तु जैसे केरोसिन, फिनाइल, सोडा, कीटनाशक दवा, चूहा मारने की दवा अथवा चींटीमार पाउडर किसी भी हालत में नहीं रखे जाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं.

मिड-डे मील भोजन योजना का संचालन करने वाले समूहों को अच्छी गुणवत्ता के अनाज, अच्छे खाद्य तेल और मसालों के इस्तेमाल करने को कहा गया है. समूहों को साफ तौर पर निर्देशित किया गया है कि उपयोग में लाए जाने वाले अनाज, खाद्य तेल, मसाले इत्यादि के नमूने को कम से कम एक महीने तक सुरक्षित रखा जाए.

मिड-डे मील भोजन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए रसोई कक्ष या किचन शेड की नियमित साफ-सफाई करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि उस स्थान को कीड़े-मकोड़े, चूहे और छिपकली इत्यादि से सुरक्षित रखा जा सके. खाना ढककर पकाने और बना हुआ खाना भी ढककर रखने को कहा गया है.

यह भी निर्देश दिया गया है कि किसी भी सूरत में बच्चों को ठंडा तथा बासी भोजन नहीं दिया जाए. साथ ही पेयजल टंकी अथवा जलस्रोत के पानी की नियमित अंतराल में जांच और पेयजल की सुविधा भी सुनिश्चित करने को कहा गया है.

इसके अलावा निर्देशित किया गया है कि जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के टेलीफोन और मोबाइल नंबर भी प्रत्येक स्कूल में प्रधान अध्यापक के पास होना चाहिए.

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