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छत्तीसगढ़: फोर्स ने घर जलाये- CBI

रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के ताड़मेटला में एसपीओ ने ही घर जलाये थे. छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासियों के घरों में आग लगा देने की घटना के करीब पांच साल बाद सीबीआई ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चार्जशीट पेश की है. जिसमें कहा गया है कि इस घटना को सलवा जुड़ूम से जुड़े लोगों ने ही अंजाम दिया था.

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस मोहन बी ठाकुर और आदर्श गोयल की बेंच ने सरकार को शांति स्थापित करने व नक्सलियों से बातचीत शुरु करने को कहा है. इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि वे बातचीत की जरूरत को उच्च स्तर पर पर उठायेंगे. हालांकि इससे तात्कालिक समाधान निकल सकता है, जरूरत स्थायी शांति की है.

उल्लेखनीय है कि सुकमा में यह आगजनी 11 से 16 मार्च के बीच हुई थी जब फोर्स गश्त पर थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि दंतेवाड़ा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एसआरपी कल्लूरी के आदेश पर इन गांवों में पुलिस गश्ती दल भेजा गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पांच जुलाई 2011 को मामला सीबीआई को सौंपा था. सीबीआई ने सलवा-जुड़ुम नेता तथा एसपीओ के 6 लोगों पर विभिन्न धाराओँ के तहत मामला दर्ज किया है. सुप्रीम कोर्ट से पीड़ियों को मुआवजा देने का भी आदेश हुआ है.

उल्लेखनीय है कि सुकमा जिले के ताड़मेटला, तिम्मापुर और मोरपल्ली गांवों में 11 से 16 मार्च 2011 के बीच फोर्स के जवानों ने गश्त की थी. इसी दौरान इन तीनों गांवों को पूरी तरह आग के हवाले कर दिया गया. घटना में फोर्स पर तीन गांवों के तीन सौ घरों को आग लगाने, तीन आदिवासी महिलाओं से बलात्कार करने और तीन लोगों की हत्या करने के आरोप लगे. सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में ही ताड़मेटला कांड सीबीआई के हवाले कर दिया था.

इसके बाद 26 मार्च 2011 को जब स्वामी अग्निवेश अपने सहयोगियों सहित उन गांवों में जाने की कोशिश कर रहे थे तब दोरनपाल में उनपर जानलेवा हमला हुआ था. जिसमें सलवा-जुड़ुम नेता शामिल थे.

याचिकाकर्ता नंदिनी सुंदर ने कहा कि सीबीआई जांच से पुलिस के झूठ का पर्दाफाश हो गया है. जिसमें कहा गया था कि आगजनी नक्सलियों ने की थी.

सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने बीबीसी को बताया, “सरकार पांच सालों तक पुलिस को बचाने के लिये इन घटनाओं को झुठलाती रही. यहां तक कि इन घटनाओं के सूत्रधार दंतेवाड़ा के तत्कालीन एसएसपी शिवराम प्रसाद कल्लुरी को जांच के दौरान ही बस्तर का आईजी बना कर भेज दिया. लेकिन सीबीआई की जांच में सारी बातें साफ़ हो गई हैं.”

हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की जांच रिपोर्ट को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि अदालत जो भी निर्देश देगी, उसका पालन किया जायेगा.

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता और विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने बीबीसी से कहा, “माओवादियों के ख़िलाफ़ छत्तीसगढ़ सरकार के अभियान से माओवादी बौखलाये हुये हैं. यही कारण है कि सुरक्षा बलों को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है.”

लेकिन कांग्रेस पार्टी ने सीबीआई की रिपोर्ट का समर्थन करते हुये कहा है कि उनकी पार्टी पहले से ही कहती रही है कि बस्तर में पुलिस माओवादियों को खत्म करने के नाम पर आदिवासियों को फर्ज़ी मुठभेड़ में मार रही है.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ज्ञानेश शर्मा ने बीबीसी से कहा- “सीबीआई की रिपोर्ट ने हमारे आरोपों की पुष्टि की है. बस्तर में पुलिस का अत्याचार चरम पर है. माओवादी उन्मूलन के नाम पर बेगुनाह आदिवासियों की हत्या और पुलिस आतंक को स्वीकार नहीं किया जा सकता.”

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