झुग्गी में देश में छत्तीसगढ़ नंबर 1
रायपुर | संवाददाता: झुग्गी बस्ती यानी स्लम के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में नंबर 1 है. भारत सरकार के नेशनल सर्वे सेंपल में यह बात सामने आई है. इस रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 18 प्रतिशत लोग झुग्गी में रहते हैं. यह आंकड़ा पूरे देश में सबसे अधिक है.
जिन्हें लगता हो कि देश में सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती महाराष्ट्र और मुंबई में है, वहां का आंकड़ा महज 3.7 प्रतिशत है. अगर प्रति एक लाख घरों की बात करें तो यहां महज एक हज़ार लोग झुग्गी में रहते हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा एक लाख में 18 हज़ार का है. सर्वाधिक गरीब होने का दंश झेल रहे छत्तीसगढ़ के हिस्से सर्वाधिक झुग्गी होने की यह रिपोर्ट कुछ महीने पहले ही सार्वजनिक हुई है. यह रिपोर्ट राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से जारी की गई है. भाग-XXXIII सं0 1 और 2, अंक संख्या 103 वां की इस 182 पृष्ठ की रिपोर्ट में विस्तार से छत्तीसगढ़ और देश की स्थितियों का वर्णन किया गया है.
पिछले साल पेश की गई इस सरकारी रिपोर्ट में यह देखना भी दिलचस्प है कि जिस मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना है, उस प्रदेश में झुग्गी घरों की संख्या केवल 9 प्रतिशत है. यानी छत्तीसगढ़ में झुग्गी घरों की संख्या मध्यप्रदेश से ठीक दुगनी है.
आंकड़े बताते हैं कि देश के पांच राज्यों में ही देश की 51 फीसदी झुग्गी बस्ती है. इनमें छत्तीसगढ़ (18%), ओडिशा (17%), झारखंड (14%), तमिलनाडु (12%) और बिहार (11%) शामिल है.
पूरे देश की बात करें तो देश में झुग्गी में रहने वाले लोगों में 11.47 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है. इसके बाद 10.64 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग हैं. झुग्गी में रहने वालों में 5.42 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग है. वहीं अन्य जातियों के लोगों की संख्या 1.76 प्रतिशत है.
हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि वह पूरे राज्य में 1900 करोड़ रुपये की लागत से 27 हजार मकान बनाने जैसी योजनाओं पर भी काम कर रही है. इस तरह के मकान बनने से गरीबों के समक्ष रहने की समस्या नहीं होगी. सरकार का गृह निर्माण मंडल भी भारी मात्रा में मकान बनाने का दावा करता है. जाहिर है, इस चरह की कोशिशों से राज्य के माथे पर सर्वाधिक झुग्गी होने का कलंक थोड़ा कम तो हो सकता है लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म करने के लिये विशेष और दीर्घकालीन कार्ययोजना बनाये जाने की जरुरत है, जिसका अभाव नजर आता है.