छत्तीसगढ़

बचपन बचाने जनसहयोग की जरूरत

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ बाल कल्याण आयोग की अध्यक्ष शताब्दी पांडे ने कहा कि आयोग बच्चों को शोषण से मुक्ति दिलाने और उनका भविष्य संवारने के लिए कार्य कर रहा है. बच्चों का विकास और उन्नति के लिए समाज का भरपूर सहयोग चाहिए, भावी पीढ़ी का हित संवर्धन हम तभी कर सकेंगे.

एक मुलाकात के दौरान शताब्दी पांडे ने कहा कि अनाथ, निराश्रित, घर से भागे, गुमशुदा बच्चों का पालन-पोषण, बाल श्रमिकों पर होने वाले अत्याचार और उनका यौन शोषण को रोकने के लिए शासन स्तर पर तो कार्यवाही होती रहती है, पर इसके लिए समाज को भी जागरूक होना होगा.

उन्होंने कहा, “बच्चों से उनका बचपन न छीना जाए, इसके लिए समाज के सभी वर्गो को सामने आना होगा. हमारी आर्थिक सीमाएं भी सीमित हैं, इसलिए इसमें जनसहयोग की भी जरूरत है.”

शताब्दी ने कहा कि बच्चों से मजदूरी कराना, उनका लैंगिक शोषण करना अपराध के दायरे में आता है. इस तरह का अपराध रोकने के लिए समाज को आगे आना होगा. नक्सली क्षेत्रों में नक्सलियों द्वारा बच्चों को ‘बाल संघम सदस्य’ बनाना भी चिंता का विषय है. माता-पिता को भी जागरूक होना पड़ेगा, तभी बच्चों को उनका बचपन मिल सकेगा.

बाल कल्याण आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि बच्चों को उनके अधिकार दिलाने के लिए अभिभावकों को भी जागरूक होना होगा. 8वीं कक्षा तक की शिक्षा बच्चों का अधिकार है, यदि बच्चा किसी कारण शुल्क जमा नहीं करता है तब भी उसका नाम काटने या पढ़ाई से वंचित करने का अधिकार किसी स्कूल प्रबंधन को नहीं है. ऐसे मामलों में आयोग कड़े निर्णय लेता है.

उन्होंने बताया कि किसी भी शाला में प्रवेश लेने के लिए बच्चे या उनके माता-पिता का टेस्ट लेना भी गलत है. सूचना मिलने पर आयोग ने कार्रवाई की है.

शताब्दी पांडे ने कहा लिंग परीक्षण कानून अपराध है. समाज से यदि बेटे की चाहत में बेटी को ही रोका जाएगा तो सामाजिक असंतुलन होना तय है. बाल विवाह रोकने के लिए आयोग की मुहिम सतत चल रही है.

उन्होंने कहा कि भ्रूणहत्या और बाल विवाह रोकने के लिए महिलाओं को पहल करनी होगी. इस दिशा में उनके हर कदम पर आयोग हमेशा साथ रहेगा.

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