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छत्तीसगढ़ के शहरों में घट रही हैं बेटियां

रायपुर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बड़े शहरों में बेटियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. महिलाओं की जनसंख्या भले 991 हो लेकिन शहरी इलाकों में यह 956 ही है. 0-6 साल की उम्र के लिंगानुपात 964 और 932 ही है. छत्तीसगढ़ में महिलाओं की संख्या ग्रामीण इलाकों में ही अधिक है. ग्रामीण इलाकों में प्रति 1000 पुरुषों पर 1004 महिलायें हैं. इसी तरह 0-6 साल की उम्र की बच्चियों की संख्या ग्रामीण इलाकों में 972 है.

तो क्या बड़े शहरों में कन्या भ्रूण हत्या का क्रम जारी है? 2011 की जनगणना के नतीजे तो यही इंगित कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरो में कन्याओं का अनुपात ज्यादा है.

बस्तर, दंतेवाड़ा, महासमुंद, राजनांदगांव, धमतरी, कांकेर, जशपुर में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों का अनुपात 1000 से ज्यादा है. वहीं बड़े शहरों रायपुर, दुर्ग, कोरबा, रायगढ़ व बिलासपुर में यह अनुपात कम है.

2011 की जनगणना के मुताबिक देश में स्त्रियों का अनुपात प्रति 1000 पुरुषों की तुलना में 940 है. छत्तीसगढ़ का औसत 991 है. छत्तीसगढ़ की स्थिति अन्य राज्यो की तुलना में बेहतर है लेकिन यह बढ़त मिली है छोटे शहरों और कस्बों से. बस्तर में कन्याओं का अनुपात सबसे ज्यादा 1024 है, फिर क्रमश: दंतेवाड़ा 1022, महासमुंद 1018, राजनांदगांव 1017, धमतरी 1012, काकेंर 1007 तथा जशपुर 1004 है.

इसकी तुलना में कोरबा 971, बिलासपुर 972, रायपुर 983, दुर्ग 988 एवं रायगढ़ 993 है. अर्थात सबसे कम स्त्रियों का अनुपात कोरबा तथा बिलासपुर का है. इन बड़े शहरों में सोनोग्राफी सेंटर छोटे शहरो की तुलना में ज्यादा हैं. रायपुर और बिलासपुर में कई ऐसे कुख्यात सोनोग्राफी सेंटर हैं, जो गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग बताते हैं.

इन कुख्यात सोनोग्राफी सेंटरों में ओडीशा से लेकर बंगाल तक की गर्भवती महिलायें आती हैं और जांच करा कर चली जाती हैं. नालियों में मिलने वाले भ्रूण की घटनायें भी कम नहीं हैं. संकट ये है कि अब तक राज्य सरकार ने ऐसे किसी भी सेंटर पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की, जो दूसरों के लिये सबक का कारण बने. ऐसे में भ्रूण परीक्षण का धंधा बेखौफ चल रहा है और बेटियां गर्भ में ही मारी जा रही हैं. आश्चर्य नहीं कि अगली बार जब जनगणना की रिपोर्ट आये तो छत्तीसगढ़ के इन बड़े शहरों का लिंगानुपात और कम हो जाये.

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