छत्तीसगढ़: धारा 144 अदालत पहुंचा
रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ राजभवन के सामने प्रदर्शन करने पर प्रतिबंधात्मक आदेश के उल्लंघन पर प्रस्तुत की गई चार्जशीट को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले में सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कलेक्टर रायपुर को नोटिस देकर जवाब-तलब किया है.
छत्तीसगढ़ में पहली बार धारा 144 का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा है. अगस्त 2012 को घटना के करीब 32 माह बाद मार्च 2015 में चार्जशीट पेश की गई. सामाजिक कार्यकर्ता बी.के. मनीष ने 14 अगस्त 2012 को राजभवन के सामने प्रदर्शन किया था. उनके साथ प्रख्यात गांधीवादी और पूर्व सांसद केयूर भूषण भी थे.
मनीष को धारा 144 के उल्लंघन के तहत गिरफ्तार किया गया था और बाद में मार्च 2014 को उनके खिलाफ सीजेएम की कोर्ट में चार्जशीट प्रस्तुत की गई. इसके खिलाफ मनीष ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई. इसमें कहा गया है कि राजभवन, मुख्यमंत्री निवास, मंत्रालय और विधानसभा के पास कुछ सालों से धारा 144 लागू है.
सर्वोच्च न्यायालय ने मधु लिमये और कोलकाता हाई कोर्ट ने आचार्य जगदीश्वरानंद के मामले में दिए गए आदेश में कहा है कि इमरजेंसी होने या विशिष्ट परिस्थितियों में धारा 144 लागू की जा सकती है. इसकी अवधि बार-बार नहीं बढ़ाई जा सकती.
प्रकरण में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्यभवन के सामने प्रदर्शन करने पर पुलिस द्वारा दी गई चार्जशीट को अनुचित मानते हुए जिला कलेक्टर को नोटिस देकर समर वेकेशन के बाद अगली सुनवाई में जवाब देने कहा.