1000 करोड़ के घोटाले में सीबीआई दर्ज करे मामला
बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक हजार करोड़ के भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई को मामला दर्ज़ करने का आदेश दिया है. जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यह सुनियोजित व संगठित अपराध है. इसकी निगरानी करना हाईकोर्ट की जिम्मेदारी है.
भाजपा शासनकाल में 2013 से 2018 के बीच राज्य निशक्तजन स्रोत संस्थान यानी फिजिकल रेफरल रिहेब्लिटेशन सेंटर में हुए एक हजार करोड़ स्र्पये के घोटाले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने यह आदेश दिया.
जिन अधिकारियों को इस मामले में प्रतिवादी बनाया गया है, उनमें पूर्व मुख्य सचिव व वर्तमान में रेरा के चेयरमैन विवेक ढांड, पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुजूर, रिटायर्ड आईएएस व वर्तमान में सूचना आयुक्त एमके राउत, आईएएस आलोक शुक्ला, आईएएस बीएल अग्रवाल, सतीश पांडेय, अशोक अग्रवाल, एमएल पांडेय, हेरमन खलखो व समाज कल्याण विभाग के संचालक पंकज वर्मा, अशोक तिवारी और पीसी सोती शामिल हैं.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सीबीआई को सात दिन के भीतर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर देने के सख्त निर्देश दिए हैं. साथ ही संबंधित विभागों से 15 दिनों के भीतर मूल दस्तावेजों को जब्त करने की जिम्मेदारी भी सीबीआई को सौंपी है.
अदालत ने कहा कि घोटाले में शामिल अधिकारी उच्च पदों पर कार्यरत हैं. ऐसे में सीबीआई स्वतंत्र रूप से सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन से जांच-पड़ताल करे. यदि अदालत से किसी और तरह के निर्देश की आवश्यकता है तो सीबीआई आवेदन देकर मार्गदर्शन ले सकती है.
क्या है मामला
याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर आला अफसरों की मिलीभगत से चलाए जा रहे फर्जी विभाग के जरिये प्रति महीने लाखों स्र्पये के घोटाले की जांच की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि वह समाज कल्याण विभाग के राज्य निशक्तजन स्रोत संस्थान में संविदा कर्मचारी के पद पर कार्यरत था.
जब कुंदन सिंह ने अपनी स्थाई नौकरी के लिए आवेदन जमा किया तब उसे जानकारी मिली कि वह समाज कल्याण विभाग के बजाए फिजिकल रिफरल रिहेब्लिटेशन सेंटर का स्थाई कर्मचारी है.
याचिकाकर्ता को पता चला कि उसका नियमित रूप से हर महीने उसी विभाग से वेतन का आहरण किया जा रहा है. इस खुलासे के बाद उसने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन जमा कर जानकारी हासिल की. जहां से लाखों रुपये के घोटाले का पता चला.