विंध्यवासिनी की छोटी बहन हैं रिसाई
धमतरी | एजेंसी: छत्तीसगढ़ में रिसाई माता को सिद्धिदात्री माना गया है. वह विंध्यवासिनी की सबसे छोटी बहन हैं और शीतला के समान ही शीतलता प्रदान करने वाली हैं. क्रोध, लालच और रोगों से मुक्ति के लिए भक्त मां रिसाई के दरबार में पहुंचते हैं. यहां के रामसागर पारा में शिव चौक से कुछ दूरी पर स्थित रिसाई माता का अतिप्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर को 200 वर्ष से भी पुराना मान जाता है. इसकी स्थापना सन 1800 में हुई बताई जाती है. विंध्यवासिनी और दंतेश्वरी की तरह रिसाई माता मंदिर में दूर-दूर से लोग पहुंचकर दर्शन लाभ लेते हैं.
मंदिर के पुजारी विजय कश्यप और कई बुजुर्गो ने बताया कि रिसाई माता, मां विंध्यवासिनी की छोटी बहन हैं. वह विंध्यवासिनी से नाराज होकर यहां आई थीं, इसलिए इनका नाम ‘रिसाई’ पड़ा.
धमतरी उन दिनों धरमतराई के नाम से जाना जाता था. रिसाई माता सात बहनों में सबसे छोटी मानी जाती हैं. नगर में बड़ी बहन मां विंध्यवासिनी व छोटी रिसाई माता के मंदिर स्थापित हैं. रिसाई मां के मंदिर में लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. इस बार नवरात्र में 138 मनोकामना ज्योत जलाई गई हैं.
रिसाई माता के प्रति अपार श्रद्धा के कारण ही शहर में रिसाई पारा वार्ड का उदय हुआ जो रामसागर पारा से जुड़ा वार्ड है. कहा जाता है कि रिसाई माता शीतलता प्रदान करती हैं. चेचक के आने पर लोग मां के दरबार में जाकर रिसाई माता को शीतल जल अर्पित करते हैं, जिससे उनके रोग दूर हो जाते हैं.
रिसाई देवी के मंदिर में मां वैष्णवी, माता महाकाली, माता महालक्ष्मी, माता महासरस्वती व नौ ग्रह- बुध, शुक्र, चंद्र, बृहस्पति, सूर्य, मंगल, केतु, राहु और शनिदेव की मूर्तियां भी स्थापित हैं. वार्डवासियों का कहना है कि रिसाई मां का ही प्रभाव है कि यहां कई वर्षो से कोई अनिष्ट नहीं हुआ है.