पीएम मुद्रा योजना में छत्तीसगढ़ 15 वें स्थान पर
रायपुर|डेस्कः छत्तीसगढ़ की जनता प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना का लाभ उठाने में काफी पीछे हैं. इस मामले में पूरे देश में छत्तीसगढ़ 15वें नंबर पर है. जबकि इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ उठाते हुए तमिलनाडु पहले नंबर पर है.
छत्तीसगढ़ की महिला समूहों ने भी इस योजना में दिलचस्पी नहीं दिखाई है. जिसके चलते पूरे देश में वे 13वें नंबर पर हैं. जबकि पश्चिम बंगाल की महिलाएं पहले और बिहार की महिलाएं दूसरे नंबर पर हैं.
आदिवासी वर्ग तो इस योजना का लाभ उठाने में पूरे देश में बहुत पीछे हैं.
इस मामले में मध्य प्रदेश के आदिवासियों ने जागरुकता दिखाई है. मध्यप्रदेश के आदिवासी देश में पहले नंबर पर हैं, वहीं राजस्थान के आदिवासी दूसरे नंबर पर हैं.
सामान्य वर्ग रहा सबसे आगे
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पीएम मुद्रा योजना का सबसे ज्यादा लाभ सामान्य वर्ग के लोगों ने उठाया है. साल दर साल सामान्य वर्ग का आंकड़ा अन्य वर्गों की अपेक्षा काफी तेजी से बढ़ता ही गया है.
सामान्य वर्ग में छत्तीसगढ़ लगभग 15वें नंबर पर है. वहीं देश में तमिलनाडु पहले और पश्चिम बंगाल दूसरे नंबर पर आता है.
योजना के शुरुआती साल 2015-16 में ही सामान्य वर्ग से सबसे ज्यादा 1,64,79,425 खाता खोले गए. जिसमें 83,758,40 करोड़ रुपये का ऋण वितरित भी किया गया था.
जबकि पूरे देश में सभी वर्गों को मिलाकर कुल 3,48,80,924 खाता खेले गए थे. जिसमें 1,32,954,73 करोड़ रुपये का ऋण आबंटित किया गया था.
आवेदन तमिलनाडु का ऋण कर्नाटक को
पीएम मुद्रा योजना साल 2015 में प्रारंभ की गई थी. लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस योजना के तहत वृहत मात्रा में लोगों को ऋण दिया गया था.
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पहले वित्तीय वर्ष में छत्तीसगढ़ से कुल 6,39,711 लोगों ने इस योजना में रूचि दिखाते हुए आवेदन किया था.
इन सभी का खाता खोला गया और इन लोगों को 2,156,14 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था. जिसमें महिला आवेदकों की संख्या 4,88,968 थी. इन महिलाओं को कुल 9,28,09 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया.
इसमें सामान्य वर्ग से 2,29,730, ओबीसी से 2,62,291, एससी से 77,035 और एसटी वर्ग से 70,665 खाता खोले गए थे.
इस साल पूरे देश में तमिलनाडु से सबसे ज्यादा 47,81,567 आवेदन मिले थे. लेकिन ऋण की राशि सबसे ज्यादा कर्नाटक को वितरित किया गया था. इस साल कर्नाटक को कुल 16,469,43 का ऋण वितरित किया गया था. जबकि कर्नाटक से 44,59,609 आवेदन मिले थे. वहीं तमिलनाडु को 15,496,86 रुपये का ऋण बांटा गया था.
इस वित्तीय वर्ष में पूरे देश से कुल 3,48.80,924 आवेदन मिले, जिसमें 1,32,954.73 रुपये ऋण वितरित किया था.
20 लाख तक ऋण
सरकार ने दावा किया था कि इस योजना के शुरुआती तीन साल यानी वर्ष 2015 से 2018 तक की अवधि के दौरान ही 1.12 करोड़ लोगों के अतिरिक्त रोजगार का सृजन इस योजना के तहत हुआ है.
सरकार ने कहा है कि इस योजना में सीमांत समूहों सहित समाज से सभी समूहों को ऋण दिया जा रहा है. लघु व्यावसाइयों को 20 लाख रुपये तक संस्थागत ऋण प्रदान किया जा रहा है.
इसके साथ ही चार प्रकार के ऋण और दिए जा रहे हैं. जिसमें शिशु ऋण में 50 हजार रुपये तक ऋण शामिल हैं. इसके अलावा किशोर ऋण में 50 हजार से अधिक और 5 लाख रुपये तक के ऋण शामिल हैं.
वहीं तरण ऋण में 5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के ऋण दिए जाते हैं. इसके अलावा तरण प्लस श्रेणी के ऋण में यदि कोई उपभोक्ता पहले 10 लाख रुपये तक के ऋण लेकर उसे सफलता पूर्वक जमा कर दिया है तो ऐसे उपभोक्ताओं को 24 अक्टूबर 2024 से 20 लाख रुपये तक के ऋण दिया जा रहा है.