जोंक से चर्मरोग का इलाज
रायपुर | संवाददाता: इन दिनों लोग जोंक से चर्म रोगों का इलाज करा रहें हैं. यह इलाज हो रहा है राजधानी रायपुर के जीई रोड स्थित शासकीय आयुर्वेद अस्पताल में. यूं तो जोंक से इलाज आयुर्वेद का सदियों पुराना नुस्खा है परन्तु इन दिनों रायपुर में इससे गंजेपन, बाल झड़ना तथा मुंहासों का इलाज कराया जा रहा है.
आयुर्वेद अस्पताल के चिकित्सक डॉ. उत्तम निर्मलकर यह इलाज कर रहें हैं. एलोपैथी की तुलना में आयुर्वेद का यह जलौकावचारण पद्धति सस्ती तथा अधिक कारगार है. जिससे रायपुर के युवाओँ में इसका चलन बढ़ गया है.
मुंहासे और गंजेपन के इलाज के लिये जोंक नागपुर और दिल्ली से मंगाये जा रहे हैं. यह छोटे और मध्यम आकार के होते हैं. चर्म रोगों के लिये लगने वाले लंबे जोंक रायपुर के तालाबों से ही मिल जाते हैं. एक मरीज के लिये एक जोंक का ही उपयोग किया जाता है.
दरअसल, जोंक खून चूसते हैं जिससे दूषित खून बाहर निकल जाता है तथा उस स्थान पर नये खून का बहाव तेज हो जाता. जिससे कुछ ही हफ्तों में उस स्थान का चर्म रोग जैसे बाल झड़ना, गंजापन दूर होने लगता है.
जलौकावचारण पद्धति
जीव जीव का भक्षी है, किन्तु आयुर्वेद का दृष्टिकोण जीव से जीव की रक्षा करना बताया गया है. आयुर्वेद में इस रक्षक जीव का नाम ‘जलौका’ (Leech) है. इसका जन्म जल में ही होने के कारण इसका नाम ‘जलौका’ पड़ा. प्रचलित भाषा में इसे जोंक कहते हैं.
इसके मुख में ‘Y’ आकार के जबड़े रहते हैं. इन जबड़ों में अत्यंत सूक्ष्म 80 से 100 तक दांत रहते हैं. एक निर्विष जलौका एक बार में 5 से 10 ml तक अषुद्ध रक्त का सेवन कर सकती है. इसके लालाश्राव में Hirudin नाम की एक एन्जाईम रहती है. इस एन्जाईम में षोथहर, वेदनाहर एवं संज्ञाहर के गुणों के कारण मानव शरीर में 80 से 100 दांतों के प्रवेष कराने पर भी वेदना नहीं होती है, जबकि एक चिंटी के काटने पर भी वेदना होती है.
इसके अलावा इस जीव में सबसे बड़ा गुण यह है कि पहले अशुद्ध रक्त का आचूषण उसी प्रकार करती है जैसे हंस पानी मिले हुए दूध में से दूध पी लेता है, एवं पानी छोड़ देता है.
Sir
Muje aapka contact no chahiye muje hair faul ke baare me baat krni hai
Mujhe muhse ka ilaj karvani hai….sir plz