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अब भी केमिकल से फल पकाये जा रहे हैं

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की राजधानी में अब भी केमिकल से फल पकाये जा रहे हैं. प्रशासन को इसकी सूचना मिलने पर मंगलवार को डिप्टी कलेक्टर हरवंश सिंह मिरी, एम आर जंघेल, खाद्य सुरक्षा अधिकारी सिद्धार्थ पांडे एवं औषधि प्रशासन विभाग ने संयुक्त छापेमारी करके लालपुर स्थित उल बाजार से सैंपल जब्त किये.

रायपुर के लालपुर स्थित थोक फल बाजार के शिव शक्ति, न्यू शिव शक्ति तथा सूरज फ्रूट कंपनी के कोल्ड स्टोरेज में एथीलीन गैस से केला पकाये जा रहे थे. यहां पर 8 टन केले पकाये जाने की सूचना मिली थी. जहां से दो दर्जन केले जब्त किये गये.

गौरतलब है कि जनवरी माह में भी इस फल बाजार में छापेमारी की गई थी. बाद में दो फल व्यापारियों को गिरफ्तार भी किया गया था. रायपुर पुलिस ने आरकेजी फ्रूट शॉप जवाहर मार्केट गोलबाजार के 44 वर्षीय अशोक कुमार बघेल तथा महाजन फ्रूट सप्लायर गोलबाजार के 40 वर्षीय शंकर चौबे को कार्बाइड से फल पकाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उनके खिलाफ धारा 269, 273 के तहत अपराध कायम किया गया है.

रायपुर की फल मंडियों में केमिकल से फल पकाये जाने के मामले को पकड़े जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने ड्रग कंट्रोलर को निर्देश दिये हैं कि राजधानी रायपुर ही नहीं, हर संभाग और जिलें की फल मंडियों में लगातार जांच की जाये कि वहां फल केमिकल से तो नहीं पकाये जा रहे हैं.

केमिकल से पके फलों के सेवन से पेट की गड़बड़ी के अलावा लीवर के रोग, किडनी के रोग तथा कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो जाती है. उसके बावजूद भी फल व्यापारी केमिकल से फलों को पकाने से बाज नहीं आ रहें हैं.

शरीर को पहुंचाते हैं हानि-

कैल्शियम कार्बाइट: डब्ल्यूएचओ द्वारा इससे फलों को पकाना पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है. यह एक तरह का यौगिक है, जो फलों में लगे रहने के बाद शरीर में जाने से बीमारियां पैदा करता है. खासकर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

टैगपोन-39 :यह आक्सीडाइड एजेंट है. इस केमिकल के शरीर में जाने से खासकर अधिक मात्रा में पहुंचने से पेट, लीवर, प्लाज्मा से संबंधित बीमारियां होती हैं.

इथलीन गैस : इस गैस का उपयोग फलों को पकाने में किया जा रहा है. ज्यादा मात्रा से शरीर के लिए हानिकारक है. स्किन, लीवर और किडनी से संबंधित बीमारियां होने का खतरा रहता है.

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथारिटी ऑफ इंडिया का ऑकड़ा

उल्लेखनीय है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथारिटी ऑफ इंडिया द्वारा साल 2014-15 में छत्तीसगढ़ से 133 खाद्य पदार्थो के नमूने लिये गये जिनमें से 27 मिलावटी तथा मिसब्रांडेड पाये गये. उल्लेखनीय है कि खाद्य सामग्रियों पर गलत लेबल लगाने, मिलावट करने या असुरक्षित पदार्थ बेचने पर छह महीने से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान है. इसके साथ ही 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

इसके पिछले साल 2013-14 में छत्तीसगढ़ में कुल खाद्य पदार्थो के 294 नमूने लिये गये जिनमें से सभी की जांच की गई थी. जिसमें से 112 मिलावटी, असुरक्षित, घटिया तथा मिसब्रांडेड निकले. इऩमें से 56 खाद्य पदार्थ के विक्रेताओं के खिलाफ़ मामले दर्ज किये गये जिसमें से केवल 7 को जुर्माना हुआ.

हमारे यहां अक्सर बीमार पड़ने पर फल खाने की सलाह दी जाती है. चिकित्सक भी फल खाने के लिये कहते हैं तथा घर के बड़े-बूढ़े भी फल खाने की हिदायत देते हैं. लेकिन अब ऐसा लगता है कि गंभीर बीमारी से बचना है तो फल खाने से तौबा करना पड़ेगा.

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