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छत्तीसगढ़ की सरकारी कंपनियां घाटे में

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की हालत लगातार खराब होती जा रही है. 2009-10 में इन सरकारी कंपनियों से छत्तीसगढ़ सरकार को कुल जमा 475.57 करोड़ का मुनाफा हुआ था लेकिन 2010-11 में यह 315.59 करोड़ रह गया. अब हालत ये है कि 2011-12 में यह मुनाफा 309.44 करोड़ रुपये का रह गया है. हालांकि राज्य का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि इस तरह घाटा दिखा कर ही इन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजीकरण की ओर धकेलने की कोशिश हो सकती है.

कैग की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2012 को छत्तीसगढ़ में 18 सरकारी कंपनियां एवं दो सांविधिक निगम यानी कुल जमा 20 संस्थायें कार्यरत थी. लेकिन इनमें से कोई भी कंपनी स्कंध विपणियों में सूचीबद्ध नहीं थी.

30 सितंबर 2012 के आंकड़े बताते हैं कि इन 20 में से 11 पीएसयू को 922.12 करोड़ का समग्र लाभ मिला, जबकि 6 पीएसयू को 612.68 करोड़ रुपये की हानि हुई. जो कंपनियां घाटे में चल रही हैं उनमें छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड, सीआईसीएल, छत्तीसगढ़ सोंधिया कोल कंपनी लिमिटेड, छत्तीसगढ़ परसा कोलरीज लिमिटेड, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड औऱ छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत होल्डिंग कंपनी लिमिटेड शामिल हैं. एक पीएसयू न लाभ न घाटा की स्थिति में है तो दो कंपनियों ने अपना हिसाब-किताब ही दुरुस्त नहीं किया.

छत्तीसगढ़ के जिन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने लाभ कमाया है, उनमें छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल 753.13 करोड़, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम लिमिटेड 22.22 करोड़, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड 102.51 करोड़ और छत्तीसगढ़ राज्य भंडार गृह निगम 21.90 करोड़ शामिल हैं. इसके उलट छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को 581.34 करोड़ का घाटा हुआ है तो छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड 29.88 करोड़ के घाटे में है.

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