छत्तीसगढ़: हाथियों ने तोड़े मकान
पत्थलगांव | संवाददाता: पत्थलगांव के गांवों में हाथियों ने आतंक फैला रखा है. करीब दो दर्जन जंगली हाथियों के दल ने इलाकें में कई मकान तोड़ दिये हैं तथा वहां रखे धान को खा लिया है. ग्रमीणों को डर लग रहा है कब हाथी हमला कर दें. गांव वालों का आरोप है कि वन विभाग का अमला कागजी खानापूर्ति के अलावा और कुछ नहीं कर रहा है.
मिली जानकारी के अऩुसार यहां के घरजियाबथान, टुकुपखना, सुखपारा, रघुनाथपुर और चौराआमा गांव में पिछले कई दिनों से गुस्सैल हाथी घूम रहें हैं. इऩ हाथियों ने कई घर तोड़ दिये हैं. ग्रामीणों के अनुसार हाथियों ने सुखरापारा के रिझन मांझी एवं ढिटकू मांझी के मकान को तेड़ कर वहां रखे धान के तीन बोरे को पूरी तरह से चट कर दिया गया है.
इसके अलावा हाथियों के उत्पाती दल ने टुकुपखना गांव के एक ग्रामीण के घऱ को पूरी तरह से तोड़ दिया गया है. यहां पर भी हाथी दो बोरे में रखे गेहूं को चट कर गये. मिर्जापुर के ग्रामीणों का कहना है कि गुस्साये हाथी ठाकुर मुंडा के नर्सरी में आकर आराम फर्माते हैं. गांव वाले रात्रि जागरण कर अपने घर की रखवाली कर रहें हैं.
दरअसल छत्तीसगढ़ का सरगुजा गज आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गांव वासियों तथा किसानों को भुगतना पड़ता है. इस साल याने 2016-17 में अब तक छत्तीसगढ़ में 69 लोग हाथियों के द्वारा मारे गये हैं जिसमें से 45 सरगुजा के हैं. जबकि पिछले साल 2015-16 में 51 लोग मारे गये थे जिसमें से 27 सरगुजा से थे. इत सरगुजा से हाथियों का आतंक बढ़ा है तथा सबसे ज्यादा मानव हानि सरगुजा संभाग में ही हुई है.
दरअसल, पिछले कुछ सालों से हाथियों के प्राकृतिक रहवास की जगह जंगल में कोल ब्लॉक मिले हैं. कोयले के लिये जंगल काटे जाने तथा कोल ब्लॉक खोदे जाने के कारण जंगलों से गांवों तथा शहरों की ओर भोजन की तलाश में आ जाते हैं. जब आते हैं तो गुस्से में सामने आने वाले व्यक्ति को मार तक देते हैं.
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