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केंद्र ने छत्तीसगढ़ को समझौते की याद दिलाई

रायपुर | संवाददाता: केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ से 24 लाख टन चावल ख़रीदी को मंजूरी दे दी है. केंद्र ने कहा है कि 2020- 21 खरीफ विपणन सत्र के दौरान केन्द्रीय पूल के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय खाद्य निगम के जरिये 24 लाख टन चावल की आपूर्ति का फैसला किया है. यह मात्रा पिछले साल मंजूर की गई धान की मात्रा के बराबर ही है.

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने केंद्र पर आरोप लगाया था कि एफसीआई द्वारा चावल खरीदी नहीं किये जाने के कारण राज्य में एमएसपी पर धान खरीदी पर संकट के बादल छा गये हैं. कई धान खरीदी केंद्रों पर धान ख़रीदी बंद कर दी गई थी.

इसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री और खाद्यमंत्री से बात कर चावल ख़रीदने का अनुरोध किया था.

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भी आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ सरकार ने एक दिसंबर को खरीदारी शुरू की और अभी तक 12 लाख किसानों से 47 लाख टन खरीद चुकी है लेकिन कई आग्रह के बावजूद राज्य को भारत सरकार से मंजूरी नहीं मिली है. वल्लभ ने कहा था कि इससे करीब 21.52 लाख किसानों पर असर होगा. उन्होंने कहा कि एफसीआई (FCI) द्वारा स्टॉक नहीं उठाने से धान के भंडारण के लिए जगह भी नहीं बची है.

अब जा कर केंद्र सरकार ने 24 लाख टन चावल ख़रीदने को मंजूरी दी है. इस मंजूरी का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया है.


दूसरी ओर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के बयानों का उल्लेख किये बिना दावा किया है कि राज्य सरकार के साथ जो समझौता हुआ है, उसके तहत ही चावल की ख़रीदी की जा रही है.

समझौता

केंद्र सरकार ने जो बयान जारी किया है, उसके अनुसार केंद्रीय पूल के तहत किसानों से धान की खरीद के लिए डीसीपी एवं गैर-डीसीपी दोनों ही राज्यों में भारत सरकार, राज्य सरकार और भारतीय खाद्य निगम के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए है.

बयान में कहा गया है कि डीसीपी राज्य के समझौता ज्ञापन के खंड संख्या-3 के अनुसार, ‘ऐसी स्थिति में जब राज्य एमएसपी से अधिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में कोई बोनस/वित्तीय प्रोत्साहन दे रहा है और राज्य की कुल खरीद टीपीडीएस/ओडब्ल्यूएस के तहत भारत सरकार द्वारा किए गए राज्य के कुल आवंटन से अधिक है तो ऐसी अधिक मात्रा केन्द्रीय पूल के बाहर मानी जाएगी.’

बयान में मप्र और छत्तीसगढ़ का उल्लेख करते हुये कहा गया है कि शुरुआती लक्ष्य राज्य के साथ बनी सहमति पर आधारित सिर्फ अनुमान है और राज्यों से पूछा जा रहा है कि क्या वे प्रोत्साहन दे रहे हैं या नहीं. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्य प्रोत्साहन देते हुए पाए गए. इसलिए केन्द्रीय सरकारी खरीद को उस मात्रा तक सीमित कर दिया गया है, जिसकी पूर्व में बिना बोनस/प्रोत्साहन के खरीद की गई थी. केन्द्र सरकार एक समान नीति का अनुसरण कर रही है और देश के सभी किसानों की सहायता कर रही है. छत्तीसगढ़ खरीद में इसी का अनुसरण किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ सरकार पर समझौता तोड़ने के सबूत देते हुए कहा गया है कि केएमएस 2020-21 के दौरान, छत्तीसगढ़ सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना का विवरण देते हुए 17 दिसंबर 2020 को एक विज्ञापन/प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की थी कि वे प्रति एकड़ 10 हजार रुपये के भुगतान द्वारा केएमएस 2020-21 के दौरान किसानों से प्रति क्विंटल 2,500 रुपये की दर से धान की खरीद करेंगे, जो कि एमएसपी से अधिक अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन का ही एक रूप है, जो धान की खरीद पर एक प्रकार का बोनस है.

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