महिला हिंसा के विरुद्ध अभियान
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में महिला हिंसा के विरुद्ध ऑक्सफैम इंडिया के अभियान की शुरुआत हुई. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ऑक्सफैम इंडिया के महिला हिंसा के विरुद्ध अभियान ‘बनो नई सोच’ का शुभारंभ किया गया. इस कार्यक्रम में राज्य के 12 जिलों से आये 700 से ज्यादा महिलाओं, पुरुषों तथा युवाओं ने भाग लिया. इस कार्यक्रम में ऑक्सफैम इंडिया की थीम लीड जेंडर जस्टिस सुश्री जूली थेकुडन, एडिशनल डीजीपी आरके विज, छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्षा हर्षिता पाण्डेय, राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष कमल चन्द्र भंजदेव एवं संयुक्त राष्ट्र संघ के वालंटियर अनिल मिश्र तथा कई सामाजिक संगठनों ने भाग लिया.
‘बनो नयी सोच’ अभियान का उद्देश्य समाज के उस सोच और प्रथा को चुनौती देना और बदलना है जिनके कारण महिलाओं को ‘कोख से कब्र’ तक हिंसा का सामना करना पड़ता है.
End violence against women and girls- Take the Pledge
इस अवसर पर ऑक्सफैम इंडिया की जूली थूक्काडन ने कहा कि यह जानकार भय होता है कि आज भी भारत में 54 फीसदी महिलायें तथा 51 फीसदी पुरुषों की यह सोच है कि महिलाओं को पीटा जाना सही है. वहीं राष्ट्रीय परिवार तथा स्वास्थ्य सर्वे तीन के अनुसार छत्तीसगढ़ में हर तीसरी विवाहित महिला ने घरेलु हिंसा का सामना किया है. उन्होंने आगे कहा कि इस सोच को बदलना ही महिला हिंसा को ख़त्म करने का एक कारगर कदम है. 30 से भी ज्यादा देश समय के साथ इस अभियान का हिस्सा बनेंगे. हम साथ में महिलाओं तथा बच्चियों के विरुध्ध हिंसा को समाप्त कर सकते हैं.
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुये करते हुये एडिशनल डीजीपी आरके विज ने कहा कि, “गत कुछ वर्षों से महिलायें एवं लड़कियां घर से बाहर निकल रही हैं, समाज में अपनी वित्तीय स्वायत्तता को स्थापित करने के लिये. एक ओर जहां यह एक प्रशंसनीय बात है, वहीं हमें ये भी याद रखना होगा कि घरों के अन्दर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना एक कठिन कार्य होता जा रहा है. जब हम पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लेते हैं तो हमें ये पढाया जाता है कि अपराधिक मानसिकता मनुष्य को अपने घर से, पालन पोषण से तथा समाजीकरण से ही मिलता है. इसलिये हमें ये याद रखना होगा कि हम अपने बच्चो को कैसी परवरिश दे रहे हैं.”
राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा हर्षिता पाण्डेय ने कहा कि, एक ओर तो हम देवियों की पूजा करते हैं ताकि हमें जीवन में लाभ एवं समृद्धि मिले. वहीं दूसरी ओर हम अपने घर में महिलाओं तथा बच्चियों के साथ हिंसात्मक व्यवहार करते हैं. इस दोहरी मानसिकता का अंत करना होगा.
अध्यक्ष राज्य युवा आयोग कमल चन्द्र भंजदेव ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ में महिला हिंसा एक ऐतिहासिक सत्य नहीं है. परन्तु आज के दौर में यह एक भयावह सच्चाई है. इस सोच को ख़त्म करने के लिये हमें अपने बच्चों को शुरुआत से ही नैतिक शिक्षा देना होगा. इसके लिए माता पिता तथा स्कूल दोनों ज़िम्मेदार हैं.
तत्पश्चात ऑक्सफैम इंडिया रायपुर के क्षेत्रीय प्रबंधक आनंद शुक्ल ने कहा कि महिला हिंसा के लिए समाज का हर वर्ग ज़िम्मेदार है. और यह देख के ख़ुशी होती है कि आज इसके खिलाफ मंच पर पुलिस विभाग के अधिकारी, सामाजिक संगठन और महिला एक्टिविस्ट एक साथ आये हैं.