बलरामपुर समेत 4 नये जिले आईएपी में
अंबिकापुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के चार नवगठित जिलों सुकमा, कोंडागांव, बलरामपुर-रामानुजगंज और गरियाबंद को भी केन्द्र सरकार ने एकीकृत कार्ययोजना यानी आईएपी जिलों में शामिल कर लिया है. केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री रमन सिंह को भेजे गए पत्र में इन जिलों को आईएपी की सूची में शामिल कर लिए जाने की जानकारी दी है. इन्हें मिलाकर छत्तीसगढ़ में एकीकृत कार्ययोजना वाले जिलों की संख्या 10 से बढ़कर 14 हो जाएगी. इसके पहले राज्य के अन्य दस जिले-बस्तर, कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सरगुजा, कोरिया, जशपुर, कबीरधाम और राजनांदगांव इस कार्ययोजना में वर्ष 2010 में शामिल किए गए थे. देश भर में वर्तमान में आईएपी जिलों की सूची में 82 जिले शामिल हैं.
गौरतलब है कि प्रत्येक आईएपी जिले को केन्द्र से स्थानीय महत्व के विभिन्न विकास कार्यों के लिए तीस करोड़ रूपए देने का प्रावधान है, जिसे पचास करोड़ रूपए तक बढ़ाने की मांग भी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा की गयी है. मुख्यमंत्री इन आदिवासी बहुल जिलों की विशेष भौगोलिक परिस्थिति, नक्सल समस्या आदि का उल्लेख करते हुए प्रदेश के नवगठित नौ जिलों में से छह जिलों को आईएपी जिलों में शामिल करने की मांग लम्बे समय से करते आ रहे थे. इनमें से चार जिलों को इस कार्ययोजना में शामिल करने का निर्णय केन्द्र सरकार ने लिया है. शेष दो जिलों सूरजपुर और बालोद को भी इसमें शामिल करने का मुख्यमंत्री का प्रस्ताव अभी केन्द्र के विचाराधीन है.
एकीकृत कार्य योजना नक्सल हिंसा पीड़ित जिलों में आम जनता के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास से संबंधित कार्यक्रमों पर आधारित है. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पिछले वर्ष 29 मई को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोंटेक सिंह अहलुवालिया को अलग-अलग पत्र लिखकर इन चारों नवगठित जिलों को एकीकृत कार्य योजना के जिलों में शामिल करने का आग्रह किया था. मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने इसके पहले राज्य में नौ नये जिलों के गठन के समय भी 16 जनवरी, 2012 को योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री अहलुवालिया को इस विषय में पत्र लिखा था. इस पत्र में मुख्यमंत्री ने सुकमा, कोण्डागांव, सूरजपुर और बलरामपुर सहित गरियाबंद और बालोद को भी आईएपी जिलों में शामिल करने और प्रत्येक ऐसे जिले के लिए वित्तीय आवंटन तीस करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ रूपए करने की मांग की थी.
अधिकारियों के अनुसार केन्द्र प्रवर्तित एकीकृत कार्ययोजना के तहत छत्तीसगढ़ को वित्तीय वर्ष 2010-11 में दस जिलों के लिए प्रति जिला 25 करोड़ रूपए के हिसाब से 250 करोड़ रूपए और वर्ष 2011-12 में तीस करोड़ रूपए के हिसाब से तीन सौ करोड़ रूपए का आवंटन प्राप्त हुआ था. पिछले वित्तीय वर्ष 2012-13 में भी इन दस जिलों के लिए प्रति जिला तीस करोड़ रूपए के मान से तीन सौ करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया था और पहली किश्त में माह दिसम्बर 2012 तक दो सौ करोड़ रूपए प्राप्त हो चुके थे. वर्ष 2010-11 से 2012-13 के दिसम्बर 2012 तक इस कार्ययोजना के तहत छत्तीसगढ़ में लगभग 806 करोड़ रूपए के 18 हजार 172 कार्य मंजूर किए गए और इनमें से तेरह हजार 252 कार्यों को पूर्ण कर लिया गया.
यह भी उल्लेखनीय है कि पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक ढांड ने इस वर्ष तीस जनवरी को केन्द्रीय गृह सचिव आर.के.सिंह को लिखे गए पत्र में आईएपी जिलों के लिए आवंटन तीस करोड़ से बढ़ाकर पचास करोड़ करने का प्रस्ताव दिया है. एकीकृत कार्य योजना के क्रियान्वयन के लिए संबंधित जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति भी गठित की गयी है, जिनमें वहां के पुलिस अधीक्षक और वनामंडलाधिकारी सदस्य के रूप में शामिल हैं. राज्य सरकार ने संबंधित जिलों पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को भी इन समितियों में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया है. इन समितियों को जनसुविधा के कार्य मंजूर करने का अधिकार है. उन्हें इसके लिए संबंधित जिलों के लोकसभा सदस्यों और अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के सुझाव लेने के भी निर्देश दिए गए हैं.