छत्तीसगढ़

नंदिनी सुंदर मामले की जांच CID को

रायपुर | संवाददाता: नंदिनी सुंदर मामले की जांच सीआईडी को देने की अनुशंसा की गई है. प्रो. नंदिनी सुंदर, प्रो. अर्चना प्रसाद, विनीत तिवारी तथा संजय पराते के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किये जाने की समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के बाद सुकमा के पुलिस अधीक्षक आईके एलेसेल ने बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक से प्रकरण की जांच अपराध अनुसंधान विभाग से कराये जाने की अनुशंसा की गई है.

सुकमा के पुलिस अधीक्षक के पत्र के बाद बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक एसआरपी कल्लूरी ने छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक से अनुशंसा की गई है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर, जेएनयू की प्रोफेसर अर्चना प्रसाद, इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज़ के अधिकारी विनीत तिवारी एवं छत्तीसगढ़ माकपा के सचिव संजय पराते के खिलाफ प्रकरण की जांच अपराध अनुसंधान विभाग से कराई जाये.

दोनों पत्र 9 नवंबर को लिखे गये हैं.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब सामनाथ बघेल की हत्या मामले मे नंदिनी सुंदर समेत जेएनयू प्रोफेसर अर्चना प्रसाद, दिल्ली के जोशी अधिकार संस्थान के विनित तिवारी, छत्तीसगढ़ माक्सर्वादी कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव संजय पराते एवं दो अन्य के खिलाफ दर्ज प्रकरण की जाँच सीआईडी द्वारा की जायेगी.

सुकमा ज़िले के पुलिस अधीक्षक आईके एलेसेला ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “आरोप-प्रत्यारोप के बजाये पूरे मामले की निष्पक्ष विवेचना में हमारा विश्वास है. इसलिये हम मामले की सीआईडी जांच चाहते हैं.”

इधर नंदिनी सुंदर ने कहा है कि उनके ख़िलाफ़ पुलिस ने फ़र्ज़ी तरीक़े से मामला दर्ज किया है. उन्होंने सीआईडी जांच पर कहा कि हमारे वकील इस पर कार्रवाई करेंगे.

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर के तोंगपाल थाने में नंदिनी सुन्दर, अर्चना प्रसाद, संजय पराते, विनीत तिवारी, मंजू कवासी और मंगल राम कर्मा के खिलाफ 302, 120B, 147, 148, 149 ,452 तथा 25, 27 आर्म्स एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया है.

नंदिनी सुंदर की याचिका पर ही कथित रूप से माओवादियों के ख़िलाफ़ सरकार के संरक्षण में चलने वाले हथियारबंद आंदोलन सलवा जुड़ूम को सुप्रीम कोर्ट ने बंद करने का निर्देश दिया था.

हाल ही में सीबीआई ने नंदिनी सुंदर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अपनी एक रिपोर्ट पेश की थी, जिससे मुताबिक साल 2011 में ताड़मेटला गांव में विशेष पुलिस अधिकारियों ने 252 आदिवासियों के घर जला दिये थे.

जानकारों की मानें तो जब वे खुद मौके पर नहीं थे तो उन पर हत्या का मुकदमा कैसे दायर किया जा सकता है. पुलिस ने अपराध दर्ज करने के दौरान इन लोगों के साथ-साथ बड़े नक्सली नेता विनोद, श्यामला, राजे, बादल, संजू, मासा, उमेश, लक्ष्मण, रामलाल सहित अन्य पर भी जुर्म पंजीकृत किया है.

इस मामलें में बस्तर के आईजीपी एसआरपी कल्लूरी ने कहा था चूंकि टंगिया ग्रुप के सदस्य सामनाथ ने उक्त लोगों के खिलाफ थाने में अपराध दर्ज कराया था, जिसके चलते नक्सलियों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया है. हत्या की शिकायत मृतक की पत्नी ने तोंगपाल थाने में की थी, अब पुलिस मामले की जांच कर उन्हें गिरफ्तार करने की कार्यवाही करेगी. पूर्व में उक्त लोगों ने गांव में आकर ग्रामीणों को नक्सलियों का समर्थन करने दबाव डाला था, जिसके बाद हत्या हुई है. प्रथम दृष्टया हत्या एक षड़यंत्र के तहत हुई है, जिसके चलते वे भी मामले में आरोपी हैं.

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