छत्तीसगढ़

‘छत्तीसगढ़ी’ में एमफिल कोर्स होगा

रायपुर | एजेंसी: दो साल पहले जब ‘छत्तीसगढ़ी’ भाषा में एमए की कक्षाएं शुरू की गई थीं, तो छात्रों के मन में ये संशय जरूर रहा होगा कि एमए के बाद क्या? लेकिन बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में अब छत्तीसगढ़ी में एमफिल कोर्स शुरू करने पर सहमति बन गई है.

एमफिल कोर्स शुरू करने के प्रस्ताव को अब कला संकाय के डीन की बैठक में रखा जाएगा, उसके बाद क्रमश: विद्यापरिषद और कार्यपरिषद की बैठक से होकर ही छत्तीसगढ़ी में एमफिल कोर्स का रास्ता खुल जाएगा.

बताया जा रहा है कि यदि छत्तीसगढ़ी में एमफिल शुरू होने से छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध करने के लिए कई अध्ययन होंगे, जिससे फायदा छत्तीसगढ़ी को मिलेगा. वर्तमान में विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ी भाषा में एमए का कोर्स 2013 में शुरू कर दिया गया है.

शुरुआती चरण में इसके लिए 100 सीटें निर्धारित की गई थीं, लेकिन वर्तमान में यह 40 सीटों के साथ 2 सालों से सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है. लेकिन एमए कर रहे छात्रों के मन में अवश्य एमए के बाद एमफिल को लेकर जो संशय था, वो बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में बनी सहमति के बाद दूर हो गया है.

अब छत्तीसगढ़ी भाषा में मास्टर की डिग्री लेने वाले छात्र एमफिल और संभव हुआ तो आने वाले समय में पीएचडी भी कर सकेंगे. बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्यों का इस मामले में कहना है कि छत्तीसगढ़ी में एम फिल के प्रस्ताव को लेकर सभी ने सहमति जताई है.

अब इस प्रस्ताव को कला संकाय, विद्यापरिषद और कार्यपरिषद की बैठक में रखा जाएगा. सदस्यों का कहना है कि एमए करने वाले छात्रों के लिए आगे पढ़ाई का अब तक विकल्प नहीं था. इसे देखते हुए बोर्ड के सदस्यों ने सहमति जताई है.

वहीं पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पांडेय ने बताया कि छत्तीसगढ़ी में एम फिल का फैसला अभी कला संकाय, विद्या परिषद और कार्यपरिषद की बैठक में रखा जाएगा. इस पर अंतिम फैसला कार्यपरिषद की बैठक में होगा. उन्होंने छत्तीसगढ़ी में पीएचडी को लेकर अभी थोड़ा इंतजार की बात कही है.

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