7 लाख मज़दूरों की घर वापसी, पंजीयन में सरकार की दिलचस्पी नहीं
रायपुर | संवाददाता: मज़दूरों के पलायन को नकारने के सारे सरकारी दावों पर कोरोना काल में मज़दूरों की वापसी ने पानी फेर दिया. लेकिन मज़दूरों को लेकर सरकारी उदासीनता अब भी जस की तस है.
आंकड़े बताते हैं कि कोरोना काल में राज्य में 7 लाख से अधिक मज़दूरों की वापसी हुई लेकिन इन मज़दूरों में से अधिकांश के पंजीयन तक की ज़रुरत राज्य सरकार ने महसूस नहीं की.
इन प्रवासी मज़दूरों को लेकर श्रम विभाग का रवैय्या कैसा रहा, इसे अकेले जांजगीर-चांपा ज़िले के एक उदाहरण से समझा जा सकता है.
जांजगीर चांपा ज़िले में कोरोना काल के दौरान 1 लाख 15 हज़ार, 459 मज़दूरों की वापसी हुई.
हालांकि राज्य के श्रम मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया ने विधानसभा में जो जानकारी प्रस्तुत की है, उसके अनुसार जांजगीर-चांपा ज़िले में 2020-21 में अन्य राज्यों से 68 हजार 847 प्रवासी मज़दूरों की वापसी हुई.
मंत्री के अनुसार श्रम विभाग के अधीन संचालित छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल अंतर्गत 5 हज़ार 48 प्रवासी मज़दूरों का पंजीयन किया गया.
इसी तरह छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सुरक्षा मंडल अंतर्गत 4 हज़ार 895 प्रवासी मज़दूरों का पंजीयन किया गया.
यानी जांजगीर चांपा में दूसरे राज्यों से लौटे केवल 9 हज़ार 943 प्रवासी मज़दूरों का ही पंजीयन हो पाया.
विधानसभा में पेश जवाब के अनुसार इन पंजीकृत मज़दूरों में से एक मज़दूर के परिजन को मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना में एक लाख रुपये और ठेका श्रमिक घरेलू महिला कामगार प्रसूति योजना में एक महिला को 10 हज़ार रुपये की मदद की गई.
मज़दूरों की वापसी के आंकड़े
पंचायत विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में कोरोना काल में क्वारंटिन सेंटर में 6 लाख 80 हज़ार 685 मज़दूरों की वापसी हुई.
इसी तरह 31 हज़ार 2 मज़दूर अपने घरों में ही क्वारंटिन रहे.
इस तरह अगर पूरे कोरोना काल के आंकड़े देखें तो राज्य भर में 18 अक्टूबर 2020 तक 7 लाख, 11 हज़ार, 687 मज़दूरों की वापसी हुई.