छत्तीसगढ़

छग के 35 मानसरोवर यात्री फंसे

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के 35 लोग मानसरोवर से लौटते समय नेपाल में फंस गये हैं. छत्तीसगढ़ के 35 मानसरोवर यात्रियों का जत्था यात्रा पूर्ण करके वापसी के दौरान भारी वर्षा और भू-स्खलन के कारण नेपाल के सीमावर्ती सिंधुपाल चौक जिले के कोदारी के पास फंस गया है.

रविवार को इसकी खबर मिलते ही छत्तीसगढ़ सरकार हरकत में आ गई है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नेपाल तिब्बत सीमा पर कोदारी के पास फंसे छत्तीसगढ़ के यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रविवार की शाम विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज से टेलीफोन पर बातचीत की है.

मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली स्थित छत्तीसगढ़ सरकार के आवासीय आयुक्त को भी विदेश मंत्रालय और नेपाली दूतावास से निरंतर सम्पर्क में रहकर उनसे समन्वय कर यात्रियों के सुरक्षित बाहर निकालने का उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.

कैलाश मानसरोवर

कैलाश मानसरोवर को शिव-पार्वती का घर माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर शिव-शंभू का धाम है. यही वह पावन जगह है, जहाँ शिव-शंभू विराजते हैं.

पुराणों के अनुसार यहाँ शिवजी का स्थायी निवास होने के कारण इस स्थान को 12 ज्येतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है. कैलाश बर्फ़ से आच्छादित 22,028 फुट ऊँचे शिखर और उससे लगे मानसरोवर को ‘कैलाश मानसरोवर तीर्थ’ कहते है और इस प्रदेश को मानस खंड कहते हैं.

कैलाश मानसरोवर यात्रा
अंतर्राष्ट्रीय नेपाल तिब्बत चीन से लगे उत्तराखण्ड के सीमावर्ती पिथौरागढ़ के धारचूला से कैलास मानसरोवर की तरफ जाने वाले दुर्गम पर्वतीय स्थानों पर सडकें न होने और 75 किलोमीटर पैदल मार्ग के अत्यधिक खतरनाक होने के कारण हिमालय के मध्य तीर्थों में सबसे कठिनतम भगवान शिव के इस पवित्र धाम की यह रोमांचकारी यात्रा भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों द्वारा आयोजित की जाती है.

कैलास की यात्रा पर केवल भारत ही नहीं अन्य देशों के श्रद्धालु भी जाते हैं.

error: Content is protected !!