पोषण के बावजूद बच्चे कुपोषित क्यों?
रायपुर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ के आंगनवाड़ी जाने वाले 6.66 लाख बच्चे कुपोषित हैं. छत्तीसगढ़ के आंगनवाड़ी केन्द्र के 32 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं. जी हां, छत्तीसगढ़ के 6 वर्ष तक के 20.84 लाख बच्चे आंगनवाड़ी जाते हैं उनमें से 32 फीसदी बच्चों अर्थात् 6.66 लाख का वजन अपने उम्र के लिहाज से कम है जिसे चिकित्सीय भाषा में कुपोषण माना जाता है. इस बात की जानकारी आंगनवाड़ी योजना पर जारी किये गये स्टेटस रिपोर्ट से मिलती है. गौरतलब है कि आंगनवाड़ी केन्द्रों से एकत्र किये गये आकड़ें अन्य किसी आकड़ें की तुलना में हकीकत के ज्यादा करीब है.
छत्तसीगढ़ सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत 6 माह से 6 वर्ष के 20.84 लाख बच्चों तथा 4.69 लाख गर्भवती व शिशुवती महिलाओं, इस प्रकार कुल 25.53 लाख हितग्राहियों को लाभांवित किया जा रहा हैं. वित्तीय वर्ष 2013-14 में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम हेतु 460 करोड़ रू. का बजट प्रावधान किया गया था.
आकड़े चौंकाने वाले हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ के करीब 50 हजार आंगनवाड़ी तथा मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र हैं जिनमें बच्चे जाते हैं. इनमें से 6 वर्ष तक की उम्र वाले 32 फीसदी बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाये गये हैं. गौर करने वाली बात यह है कि जनगणना 2011 के आकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ की जनसंख्या 2.55 करोड़ है जिसमें से 6 वर्ष तक की उम्र वाले बच्चे की आबादी 14 फीसदी है. जिसका अर्थ यह हुआ कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2011 में 6 वर्ष के उम्र के 35.77 लाख बच्चे हुआ करते थे.
इसी से आप छत्तीसगढ़ के खाद्य सुरक्षा कानून के जमीनी हकीकत से रूबरू हो सकते हैं. आप की जानकारी के लिये आंगनवाड़ी केन्द्र में बच्चे केवल दिन के समय जाते हैं तथा रात का खाना घर में ही खाते हैं. आंगनवाड़ी केन्द्रों में दिन का खाना तथा गर्म नाश्ता दिये जाने का प्रावधान है. इस प्रकार से बच्चों के कुपोषण से आंगनवाड़ी योजना तथा छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा योजना पर सवाल खड़े हो जाते हैं. भारतीय परंपरा के अनुसार बच्चों को सबसे पहले तथा सबसे अच्छा काना परोसा जाता है. इसके बावजूद बच्चों की इतनी बड़ी आबादी के कुपोषण का शिकार होने का क्या यह अर्थ नहीं है कि उस परिवार के अन्य सदस्य भी कुपोषित हैं.
छत्तीसगढ़ में एकीकृत बाल विकास सेवाएँ, आईसीडीएस के अंतर्गत आँगनवाडी केन्द्रों द्वारा दी जाने वाली छः सेवाओं में से पूरक पोषण आहार एक महत्वपूर्ण सेवा हैं. आँगनवाडी केन्द्रों के माध्यम से 6 माह से 3 वर्ष आयु के बच्चों, 3 वर्ष से 6 वर्ष आयु के बच्चों तथा गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को पूरक पोषण आहार का प्रदान किया जाता हैं .
छत्तीसगढ़ में आँगनवाडी केन्द्रों में आने वाले 3 से 6 वर्ष के आयु के सामान्य एवं गंभीर कुपोषित बच्चों को गर्म पके हुए भोजन 105 ग्राम के साथ-साथ नाश्ता भी दिया जाता हैं. नाश्ते में रेडी टू ईट फूड 75 ग्राम, उबला भीगा चना, देशीगुड़ 50 ग्राम, भुना मुंगफली दाना, गुड़ 38 ग्राम प्रतिदिन अलग-अलग नाश्ता चक्रानुक्रम में प्रदान किया जाता हैं. 3 से 6 वर्ष आयु के गंभीर कुपोषित बच्चों को उपरोक्तानुसार नाश्ता एवं गर्म पके हुए भोजन के साथ अतिरिक्त रूप से रेडी-टू-ईट फूड 85 ग्राम का प्रदान किया जाता हैं.
6 माह से 3 वर्ष के आयु के सामान्य बच्चों को 135 ग्राम, 6 माह से 3 वर्ष आयु के गंभीर कुपोषित बच्चों को 211 ग्राम तथा गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को 165 ग्राम रेडी-टू-ईट फूड का प्रदाय प्रतिदिन के मान से टेक होम राशन के अंतर्गत साप्ताहिक रूप से किया जाता हैं. गेहूँ आधारित रेडी-टू-ईट फूड का निर्माण एवं प्रदाय का कार्य महिला स्व सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा हैं.