छत्तीसगढ़

महानदी विवाद: SC पहुंची ओड़िशा सरकार

भुवनेश्वर | समाचार डेस्क: महानदी विवाद पर ओड़िशा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. इसकी जानकारी ओड़िशा विधानसभा को वहां के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दी है. ओड़िशा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि छत्तीसगढ़ में महानदी पर बनने वाले बांध व बरॉज पर रोक लगाई जाये.

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में संविधान की धारा 131 के मुताबिक याचिका लगाकर गुहार की गई है कि वे छत्तीसगढ़ को निषेधाज्ञा दें.

ओड़िशा सरकार ने वर्तमान के साथ-साथ प्रस्तावित निर्माण कार्यों पर भी रोक लगाने की मांग की है. ओड़िशा सरकार का कहना है कि छत्तीसगढ़ में महानदी पर बांध व बरॉज बनाने से ओड़िशा को सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय दृष्टिकोण से नुकसान हो रहा है.

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 55 प्रतिशत हिस्से का पानी महानदी में जाता है. यह नदी और इसकी सहायक नदियों के कुल ड्रेनेज एरिया का 53.90 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में, 45.73 प्रतिशत ओड़िशा में और 0.35 प्रतिशत अन्य राज्यों में है.

हीराकुंड बांध तक महानदी का जलग्रहण क्षेत्र 82 हजार 432 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 71 हजार 424 वर्ग किलोमीटर छत्तीसगढ़ में है, जो कि इसके सम्पूर्ण जल ग्रहण क्षेत्र का 86 प्रतिशत है. हीराकुंड बांध में महानदी का औसत बहाव 40 हजार 773 एम.सी.एम. है.

इसमें से 35 हजार 308 एम.सी.एम. का योगदान छत्तीसगढ़ देता है, जबकि छत्तीसगढ़ द्वारा वर्तमान में लगभग 9000 एम.सी.एम. पानी का उपयोग किया जा रहा है, जो कि महानदी के हीराकुंड तक उपलब्ध पानी का सिर्फ 25 प्रतिशत है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने 21 जुलाई को स्पष्ट किया था कि महानदी के जल ग्रहण के केवल 25 प्रतिशत पानी का ही राज्य ने उपयोग किया है. हीराकुद बांध का औसत बहाव 40 हजार एमसीएम है जिसमें छत्तीसगढ़ का योगदान 35 हजार एमसीएम है जबकि उससे राज्य केवल 9 हजार एमसीएम पानी ही लेता है.

मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा महानदी के जल के न्यायपूर्ण बंटवारे के लिये छत्तीसगढ़ वचनबद्ध है.

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