डीवर्मिग डे: बच्चों की तबियत बिगड़ी
रायपुर/भोपाल | समाचार डेस्क: कृमिनाशक दवा खाने से छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश के कई बच्चों की तबियत बिगड़ गई. उल्लेखनीय है कि 10 फरवरी बुधवार के दिन राष्ट्रीय कृमिमुक्ति दिवस पर स्कूल के बच्चों को एलबेंडाजॉल की गोली सरकारी कार्यक्रम के तहत खिलाई गई थी. जिसके बाद छत्तीसगढ़ के करीब 23 तथा मध्य प्रदेश के करीब 50 बच्चों की तबियत बिगड़ गई. उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया तथा चिकित्सीय उपचार उपलब्ध कराया गया. सभी बच्चों की हालत खतरें से बाहर है. गौरतलब है कि इस कृमिनाशक दवा की गोली को भोजन के साथ दिया जाता है. खाली पेट इस दवा को खाने की मनाही है. छत्तीसगढ़ में तो बकायदा इस कार्यक्रम के पहले से ही सूचित कर दिया गया था कि खाली पेट बच्चों को यह दवा ने दें.
छत्तीसगढ़ के जांजगीर चाम्पा जिले में स्थित एक स्कूल में कृमिनाशक गोली के ओवर डोज से दर्जन भर से अधिक बच्चों की तबियत बिगड़ गई. इन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा. सभी बच्चे प्रायमरी स्कूल के हैं. दवा खाकर बीमार पड़ने वाले बच्चे तालदेवरी तथा गाड़ामोर गांव के हैं.
बीएमओ और बीईओ इस बारे में अलग-अलग बयान दे रहे हैं. तालदेवरी प्राथमिक शाला में कृमिनाशक दवा खाने से बच्चों को पेटदर्द, उल्टी की शिकायत हुई. इसके बाद बच्चों को एम्बुलेंस से बम्हनीडीह भेजा गया. गोली खाने से 15 बच्चों की तबियत बिगड़ने की बात सामने आई.
बीईओ एसआर कुर्रे का कहना है कि जो बच्चे पहले से कमजोर हैं, उन्हीं की तबियत बिगड़ी. सभी को स्वस्थ हालत में गोली दी गई. वहीं बीएमओ डॉक्टर एसएल बंजारे ने बताया कि सभी की हालत नियंत्रण में है.
बताया जाता है कि कृमि नाशक गोली खाकर यहां से करीब 45 किलोमीटर दूर ताल देवरी स्कूल के 8 बच्चे बीमार हो गए. जानकारी के अनुसार बच्चों को दो गोलियां खिला दी गई.
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को एक से दो वर्ष तक के बच्चों को कृमि नाशक एल्बेण्डाजॉल की आधी गोली चूरा करके खिलाई जानी थी. इसी तरह 2 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को 400 मिलीग्राम की एक मीठी गोली चबाकर खाने के लिए दी गई.
सरकारी शिक्षण संस्थाओं एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में यह गोली खिलवाई गई. छूटे हुए बच्चों को 15 फरवरी को मॉकअप दिवस के तहत एल्बेण्डाजॉल गोली खिलाने का काम किया जाएगा. हालांकि सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं.
मध्य प्रदेश में नेशनल डी वर्मिग डे के मौके पर बुधवार को बच्चों को दी गई कृमि नाशक गोलियां खाने से 50 से ज्यादा बच्चों की तबियत बिगड़ गई. अस्पताल में उपचार के बाद बच्चों को छुट्टी दे दी गई.
रायसेन जिले के बरेली और सांची में बच्चों को दवा दिए जाने के बाद तबियत बिगड़ गई. बरेली के एसडीएम ओपी सोनी ने कहा कि बरेली के मारिया विद्या सदन में दवा खाते हुए 15 बच्चों की तबियत बिगड़ गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बच्चे खाली पेट थे. इन बच्चों को अस्पताल में मिले उपचार के बाद छुटटी दे दी गई.
इसी तरह सांची में भी लगभग 25 बच्चों की तबियत बिगड़ने की खबर है.
इसके अलावा झाबुआ जिले के पेटलावाद और मंडला में भी बच्चों की तबियत बिगड़ गई. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि खाली पेट दवा खाने से गैस्टिक आदि की दिक्कत हो जाती है. ऐसा ही कुछ इन मामलों में हुआ होगा.
इतना तय है मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में कृमिनाशक दवा एलबेंडाजॉल खाने के बाद ही बच्चों की तबियत बिगड़ी है. इसकी जल्द से जल्द जांच करके कारणों का पता लगाया जाना चाहिये ताकि 15 फऱवरी के दिन जब फिर से छूटे हुये बच्चों को यह दवा दी जाये तो किसी बच्चें की तबियत न बिगड़े.
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग का स्पष्टीकरण-
स्वास्थ्य विभाग के राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. अमर सिंह ठाकुर ने कृमि नाशक दवाई खिलाने से पद्रेश के अलग-अलग जगहों से बच्चों के सेहत खराब होने पर स्पष्टीकरण जारी कर बताया कि कृमि नाशक दवाई एल्बेंडाजोल हानिकारक नहीं है. अभिभावकों को घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के कुछ स्थानों से बच्चों के पेट दर्द और उल्टी की शिकायत मिली है. सभी बच्चों को तत्काल चिकित्सा सुविधा प्रदान कर दी गई. किसी बच्चें को कोई हानि नहीं हुई है. सभी जगहों पर बच्चें कृमि नाशक सेवन के बाद स्वस्थ्य है. उन्होंने बताया कि एल्बेंडाजोल दवाई खाने के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट किया है कि कृमि नाशक दवाई खाना खाने के बाद अथवा पहले किसी भी समय सेवन कर सकते है, इससे कोई नुकसान नहीं होता है. डॉ. ठाकुर ने बताया कि सामान्यतः किसी बच्चें के पेट में कृमि अधिक होने पर दवाई सेवन के बाद पेट दर्द की शिकायत हो सकती है. इस पर डरने की कोई बात नहीं है. इसका इलाज सामान्य रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य केद्र में हो जाता है. उन्होंने बताया कि कृमि नाशक दवा के सेवन से बच्चों में कुपोषण और रक्त अल्पता की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है.