छत्तीसगढ़: पानी,शौचालय में पिछड़ा
रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ में विकास के जो दावे किये जाते हैं वे सब झूठे साबित हो रहें हैं. यह हमारा नही नेशनल सैंपल सर्वे के 24 दिसंबर 2013 को जारी किये गये आकड़े कह रहें हैं.छत्तीसगढ़ में देश के अन्य राज्यों की तुलना में न तो पीने का पर्याप्त पानी है नही यह सुविधा साल भर के लिये उपलब्ध है.इसी प्रकार छत्तीसगढ़ शौचालयों तथा स्नानागार के मामलों में भी देश में फिस्सडी है.
गांवों में पीने के पानी को उपलब्ध करवाने के मामले में छत्तीसगढ़ देशभर के 35 राज्यों में 12वें स्थान पर विराजमान है. इसी प्रकार शहरों में पीने के पानी के पर्याप्त उपलब्धता में छत्तीसगढ़ देशभर में 35 राज्यों में 25वें पायदान पर खड़ा है. इसी पीने के पानी के सालभर उपलब्धता के मामले में छत्तीसगढ़ देश के 35 राज्यों में शहरी क्षेत्रों में 27वें स्थान पर तथा गांवों में 33वें पायदान पर है.
राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 1000 जनता में से गांवों में पीने के की सुविधा सालभर 858 लोगों को मिल पाती है वहीं छत्तीसगढ़ में केवल 804 नोगों को यह सुनिधा प्राप्त है. इसी प्रकार शहरों में राष्ट्रीय स्तर पर यह सुविधा प्रति 1000 में से 896 लोगों को मिल पाती है उसके उलट छत्तीसगढ़ में सिर्फ 841 लोगों को यह सुविधा मिल पाती है.हैरत की बात है कि जिस बिहार को पिछड़ा कहा जाता है वहां की स्थिति छत्तीसगढ़ से बेहतर है.
बिहार में पीने के पानी के स्त्रोत तक प्रति हजार में से 976 लोगों की गांव में तथा शहरों में 997 लोगों की पहुंच है. इसी प्रकार से सालभर पीने के पानी की उपलब्धता के मामले में भी बिहार, छत्तीसगढ़ से आगे है. बिहार में सालभर पानी प्रति हजार में गांवों के 924 तथा शहरों के 952 लोगों को उपलब्ध है.
पीने के पानी की उपलब्धता के मामले में छत्तीसगढ़ की तुलना में आंध्रप्रदेश में गांवों के 919 तथा शहरों के 975 लोगों को पानी उपलब्ध है.जहां तक सालभर पीने के पानी के उपलब्धता का सवाल है आंध्रप्रदेश में गावों में यह 865 तथा शहरों में 876 लोगों को उपलब्ध है. छत्तीसगढ़ की तुलना में हिमाचलप्रदेश, अंदमान निकोबार, चंडीगढ़ तथा पांडिचेरी जैसे राज्य भी आगे हैं.
मनुष्य को जीने के लिये जहां पानी सबसे आवश्यक है वहीं स्वच्छ रहने के लिये शौचालयों का होना भी जरूरी है. बिना स्वच्छता के स्वास्थ्य रहना मुमकिन नहीं है. नेशनल सैंपल सर्वे में यह पाया गया है कि छत्तीसगढ़ इस मामले में भी देशभर में पिछड़ा हुआ है.प्रति 1000 लोगों पर शौचालय की उपलब्धता राष्ट्रीय स्तर पर गांवों में 594 लोगों को तथा शहरों में केवल 88 लोगों को उपलब्ध नहीं है. जबकि छत्तीसगढ़ में यह सुविधा उपलब्ध न होने वालों की संख्या ज्यादा है.
छत्तीसगढ़ के गांवों में 767 लोगों को तथा शहरों में 249 लोगों को यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस मामले में छत्तीसगढ़ देशभर में 32वें तथा 34वें पायदान पर खड़ा है. जबकि पिछड़े कहें जाने वाले बिहार में यह सुविधा गांवों में 728 तथा शहरों में 208 लोगों को उपलब्ध नहीं है.
जहां तक स्नानागार की बात है देश का औसत यह सुनिधा न मिलने वालों में गांवों में 623 तथा शहरों में 167 का है.जबकि छत्तीसगढ़ में प्रति 1000 लोगों में से गांव के 849 तथा शहरों के 345 लोगों को यह सुविधा उपलब्ध नहीं है.स्नानागार के मामले में छत्तीसगढ़ का स्थान देशभर में 32वां तथा 31वां है. छत्तीसगढ़ की तुलना में बिहार में गांवों में 819 तथा शहरों में 390 लोगों को यह सुविधा उपलब्ध है.
आकड़े झूठ नहीं बोलते है, वह तो वस्तुस्थिति की जानकारी सर्व साधारण को बता देते हैं.जो प्रदेश पीने के पानी के स्त्रोत तथा सालभर उपलब्धता के मामने में इतना पिछड़ा हो उसे कैसे मान लिया जाये कि विकास कर रहा है.छत्तीसगढ़ में शौचालयों तथा स्नानागारों की स्थिति भी देश के अन्य राज्यों की तुलना में बेहद खराब है. नेशनल सैंपल सर्वे द्वारा जारी आकड़े चीख-चीखकर बताते हैं कि छत्तीसगढ़ बुनियादी सुविधाओं के मामले में एक पिछड़ हुआ राज्य है.