पर्व की तिथि पर 40 को नोटिस
रायपुर | एजेंसी: देशभर में इस महीने हलषष्ठी पर्व दो दिन 15 और 16 अगस्त को होगा. इसके दो दिन बाद होने वाली जन्माष्टमी के लिए भी पंचांग अलग-अलग तारीखें बता रहे हैं. इससे लोग असमंजस में हैं. छत्तीसगढ़ के एक वकील ने इस मामले में 40 लोगों को नोटिस भेजा है.
वकील जयनारायण दुबे ने दो शंकराचार्यो, पंचांग तैयार करने वाले ज्योतिषाचार्यो सहित 40 लोगों को अदालत में घसीटने की तैयारी कर ली है. वकील ने इन सभी को कानूनी नोटिस भेजकर 7 अगस्त तक व्रत, पर्व और तिथियों की पंचांग के हिसाब से गणना का आधार बताने को कहा है. इस कानूनी नोटिस की सूबे में खूब चर्चा है.
पुरी के शंकराचार्य के निजी सचिव स्वामी निर्विकल्पानंद सरस्वती ने बताया, “हलषष्ठी को लेकर नोटिस हमें मिल गया है. पुरी के शंकराचार्य का आदित्य वाहिनी पंचाग ही सही है. हम न्यायपालिका में अपना पक्ष मजबूती से रखने को तैयार हैं.”
महासमुंद निवासी वकील दुबे का कहना है कि तिथियों को लेकर भ्रम फैलाने वाले पंचांग निमार्ताओं के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कार्रवाई चाहता हूं, ताकि जनमानस की धार्मिक भावना एक हो सके.
दुबे का कहना है कि जब ग्रहों की संख्या व उनकी स्थिति वही है, साल के दिन भी सभी के लिए उतने हैं, तो पंचांगों की गणना में फर्क क्यों आ रहा है? ज्योतिष की जानकारी रखने वाले दुबे तिथियों में अंतर को लेकर तीन साल से दस्तावेज जुटा रहे हैं. उन्होंने 1967 से लेकर 2014 तक के 10 से ज्यादा प्रमुख पंचांगों का बारीकी से अध्ययन किया.
दुबे के नोटिस में पूछा गया है कि पंचांगों में उल्लिखित हलषष्ठी व्रत उदय, मध्याह्न् और सायं व्यापिनी की गणना का आधार क्या है और तिथि निर्धारण का मापदंड क्या है?
लोगों का भी मानना है कि ण्क ही पर्व दो अलग-अलग तिथियों में मनाया जाना उचित नहीं है.