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वामपंथी पार्टियों का विरोध प्रदर्शन

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में चार वामपंथी पार्टियां संवैधानिक अधिकारों हो रहे हमलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी. इस सिलसिले में रायपुर में मानव-श्रृखंला का निर्माण किया जायेगा. छत्तीसगढ़ की चार वामपंथी पार्टी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा (मा-ले)-लिबरेशन तथा एसयूसीआई (सी) ने भाजपा-आरएसएस द्वारा केन्द्र सरकार के संरक्षण में आम जनता के संवैधानिक अधिकारों पर किये जा रहे हमलों के खिलाफ 23-25 फरवरी तक अभियान चलाने का फैसला किया है. यह फैसला वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी अभियान के तहत किया गया है. इस अभियान के तहत पूरे प्रदेश में विरोध कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे तथा 25 फरवरी को रायपुर में मानव-श्रृंखला का निर्माण किया जाएगा.

आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में माकपा के संजय पराते, भाकपा के आरडीसीपी राव, भाकपा (मा-ले)-लिबरेशन के बृजेन्द्र तिवारी तथा एसयूसीआई (सी) के विश्वजीत हरोड़े ने कहा है कि भाजपा-आरएसएस जोड़ी द्वारा वामपंथ पर “राष्ट्र-विरोधी” होने का आरोप लगाना न केवल समूचे वामपंथ पर, बल्कि पूरे देश की जनता के जनवादी व संवैधानिक अधिकारों पर खुला हमला है. इस प्रकार के हमले न केवल सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयास के तहत किये जा रहे हैं, बल्कि सभी मोर्चों पर मोदी सरकार की विफलता तथा आम जनता पर लादे जा रहे भारी बोझों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए भी किये जा रहे हैं.

वामपंथी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि हाल के दिनों में एफटीआईआई, रोहित वेमुला प्रकरण, चेन्नई आईआईटी, जादवपुर तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालयों में छात्र समुदायों पर जो हमले किये गए हैं, वे उच्च शिक्षा संस्थानों पर सांप्रदायिक ताकतों के एजेंडे को लागू करने की मुहिम का ही हिस्सा है. वामपंथी नेताओं ने कहा है कि यह हास्यास्पद है कि जो भाजपा-आरएसएस महात्मा गांधी के हत्यारे गोड़से की पूजा को बढ़ावा देती है और अफजल गुरू का समर्थन करने वाली पीडीपी के साथ कश्मीर में सरकार बनाती है, वह देश में “राष्ट्र-भक्ति” का प्रमाणपत्र बांट रही है. उन्होंने कहा कि देश के धर्म-निरपेक्ष चरित्र को ख़त्म करके उसे ‘हिन्दू राष्ट्र’ में तब्दील करने की आरएसएस-भाजपा के प्रयासों को सफल नहीं होने दिया जाएगा.

वामपंथी पार्टियों ने मांग की है कि जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को रिहा किया जाएं तथा सभी छात्रों पर लगाए गए राष्ट्रद्रोह के आरोप वापस लिए जाएं. अब यह सच्चाई मीडिया के प्रयासों से ही सामने आ चुकी है कि सबूतों को तोड़ा-मरोड़ा गया है. उन्होंने कहा है कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएं.

वामपंथी पार्टियों ने सभी प्रगतिशील, जनवादी व धर्म-निरपेक्ष ताकतों को इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने की अपील की है.

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