फ्लाईएश से जूझता कोरबा
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के औद्योगिक शहर कोरबा में प्रदूषण की समस्याओं ने गंभीर रूप ले लिया है. चूंकि कोरबा में ज्यादातर विद्युत परियोजनायें कोयला आधारित है, एवं बिजली की लगातार मांग बढ़ती जा रही है. ऐसी स्थिति में संयंत्रों द्वारा अधिक से अधिक बिजली उत्पादन किया जा रहा है, जिससे फ्लाईएश का उत्पादन भी बहुत अधिक बढ़ गया है.
इसलिये छत्तीसगढ़ सरकार ने बंद पड़ी खदानों में इस राख का भराव करने का निर्देश दिया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इस क्षेत्र में उद्योगों को आगे आने को कहा है. छत्तीसगढ़ के आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव बैजेन्द्र कुमार ने एसईसीएल को निर्देश दिया है कि वे तत्काल अपनी बंद पड़ी खदानें उपलब्ध करायें. निष्क्रिय खदानों में रि-क्लेमेशन एवं सघन वृक्षारोपण किया जाना चाहिये. बैजेन्द्र कुमार ने फ्लाईएश का उपयोग सड़क बनाने के लिए किये जाने के बारे में पीडब्ल्यूडी के साथ मिलकर व्यापक कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिया है.
प्रदूषण की समस्या से जूझते कोरबा में पर्यावरण को होने वाले हानि से बचाने के लिये छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार ने विभिन्न उद्योगों एवं संस्थाओं द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की. कोरबा क्षेत्र के सभी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्योग उद्योग प्रबंधनों को चेतावनी दी कि पर्यावरण से खिलवाड़ किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जनता के हित में पर्यावरण की सुरक्षा उद्योगों की भी सामाजिक जिम्मेदारी है.
कोरबा को उद्योगों को अपने कारखानों में प्रदूषण नियंत्रण के सभी तकनीकी उपाय अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करने होंगे. अन्यथा इसके लिए जिम्मेदारी तय करके मैनेजमेंट से संबंधित लोगों पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी. गौरतलब है कि इससे पहले शिकायते आती रही है कि उद्योग, प्रदूषण फैलाते हैं तथा उनकी रोकथाम के लिये किया जाने वाले नियमों का पालन नहीं करते हैं.
बैठक में सदस्य सचिव ने बताया कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जनवरी 2010 में कोरबा क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र घोषित कर नये उद्योगों की स्थापना एवं क्षमता विस्तार पर प्रतिबंध लगाया गया था. छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के प्रयासों के फलस्वरूप स्थिति में सुधार को देखते हुए यह प्रतिबंध सितम्बर 2013 में हटा लिया गया है.
मंडल द्वारा कोरबा क्षेत्र में कम्प्रेंसिव इनवायरमेंटल पॉलुशन इंडेक्स के आंकलन के लिए आईआईटी खड़गपुर से थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग का कार्य कराया जा रहा है. इसकी रिपोर्ट आने पर इसे केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली को भेजा जावेगा. बैठक में इस कार्य में आने वाले खर्च में प्रमुख उद्योगों को सहयोग करने पर चर्चा हुई, जिसमें सभी उद्योगों ने अपनी सहमति प्रदान की.