बलि का विरोध, बहिष्कार की सजा
कांकेर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के एक गांव में बलि प्रथा का विरोध करने पर 10 परिवारों को बहिष्कार की सजा भुगतनी पड़ रही है. बस्तर के कांकेर के नरहरपुर विकासखंड के कुम्हारखान गांव में 10 परिवारों को मंदिर में बलि का विरोध करने के कारण बहिष्कृत कर दिया गया है.
इतना ही नहीं इनके मवेशियों को चराने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. अब चरवाहे उऩकी मवेशी चराने से भी दूर भाग रहें हैं.
कुम्हारखान के ग्रामीणों ने इस बहिष्कार की शिकायत जिला कलेक्टर से मंगलवार को की है.
ग्रामीणों ने कहा कि जनवरी 2015 में इस बात का निर्णय लिया गया था कि मंदिर में बलि प्रथा बंद किया जायेगा. अब एक साल बाद गांव प्रमुख ही इस फैसले के खिलाफ हो गया है. गांव प्रमुख बलि प्रथा जारी रखना चाहता है तथा गांव वालों पर दबाव बना रहा है.
गांव प्रमुख का विरोध करने वाले नारायण सिंह शोरी के परिवार को बहिष्कृत कर दिया था. जब मई 2016 में नारायण सिंह के बेटे की शादी हुई तो गांव प्रमुख ने फिर से बैठक लेकर सबसे उसमें शामिल होने को मना किया. कहा गया कि शादी में शामिल होने पर 551 रुपये का दंड लगाया जायेगा.
उसके बाद भी कई ग्रामीणों ने नारायण सिंह के बेटे के शादी में भाग लिया. इससे कुपित होकर गांव प्रमुख ने 10 परिवारों को बहिष्कृत कर दिया.
बताया जा रहा है कि गांव प्रमुख रमाकांत शोरी के खिलाफ मंदिर में तोड़फोड़ करने की नामजद रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज कराई गई थी परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई है.